वैसे दो दिन पहले बनिहाल में हुआ कार बम विस्फोट ठीक उसी प्रकार का था जैसा कि इसी राजमार्ग पर 2011 में उधमपुर के पास हुआ था जिसमें सेना का एक वरिष्ठ अधिकारी तो बच गया था, लेकिन दो नागरिक मारे गए थे। यह एक कड़वी सच्चाई है कि राजमार्ग पर होने वाले कार बम विस्फोटों से कभी भी सुरक्षाबलों द्वारा कोई सीख नहीं ली गई है।
अगर ऐसा होता तो परसों हुए कार विस्फोट के मामले में कार केरिपुब के काफिले के इतने करीब कैसे पहुंच गई फिर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। पुलवामा में हुए हमले के बाद जो एसओपी लागू की गई थी, उसके तहत किसी भी वाहन को काफिलों की आवाजाही के दौरान राजमार्ग पर जाने की इजाजत नहीं है।
हालांकि अब नए निर्देशों के बाद यही फैसला किया गया है कि केरिपुब के काफिले में किसी भी सूरत में 50 से अधिक वाहन नहीं होंगे तथा प्रत्येक काफिले को एसपी रैंक के अधिकारी की देखरेख में रवाना किया जाएगा पर यह फैसला आतंकी इरादों से कैसे सुरक्षा कर पाएगा जो पहले भी लूप होलों का लाभ उठाते हुए सुरक्षाबलों को क्षति पहुंचाने में कामयाब रहे हैं।