न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि एसआईटी खुद को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है। उनसे पोस्ट की विषयवस्तु की पड़ताल करने की अपेक्षा की जाती है। पीठ ने कहा कि वह जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन उसने मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किए जाने पर सवाल उठाया।
महमूदाबाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत द्वारा एसआईटी को प्राथमिकी की विषय वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद, उसने प्रोफेसर से जब्त किए गए उपकरणों को जांच के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला भेज दिया। अदालत ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की कोई जरूरत नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने 21 मई को प्रोफेसर की जमानत की शर्तों में भी ढील दी और उन्हें अदालत में विचाराधीन मामले को छोड़कर, पोस्ट, लेख लिखने और कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दी थी। न्यायालय ने 28 मई को कहा कि प्रोफेसर के वाक् एवं अभिव्यक्ति के अधिकार में कोई अवरोध नहीं आया। हालांकि, न्यायालय ने उनके खिलाफ मामलों को लेकर उनके कुछ भी ऑनलाइन साझा करने पर रोक लगा दी।
उच्चतम न्यायालय ने उन्हें 21 मई को अंतरिम जमानत दी, लेकिन उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उसने 3 सदस्यीय एसआईटी को महमूदाबाद के खिलाफ प्राथमिकियों की पड़ताल करने का निर्देश दिया। हरियाणा पुलिस ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर महमूदाबाद के पोस्ट को लेकर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था।