राहुल, केजरीवाल 'खास' जगहों पर ही क्यों जाते हैं...

बुधवार, 2 नवंबर 2016 (20:34 IST)
नई दिल्ली। भारत में राजनीतिक दल हमेशा अपना स्वार्थ देखते हैं। यह स्वार्थ उस वक्त और अधिक बढ़ जाता है जब आने वाले महीनों में चुनाव का माहौल गरमाने वाला होता है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा मौका ढूंढते हैं। वे मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए ऐसे बड़े कांड को भुनाने में कोई जगह नहीं छोड़ते, जहां से उन्हें जनता की संवेदनाएं मिल सकें...
मामला चाहे दादरी कांड का हो या रोहित बेमुला का या फिर जेएनयू के कन्हैया कुमार का। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल इन 'खास जगहों' पर ही जाते हैं ताकि पूरा मीडिया उनके पीछे भागता फिरे और उन्हें भरपूर फुटेज मिलते रहें...होता भी यही आया है, जहां भी ये दोनों नेता गए हैं, उन्हें मीडिया ने भरपूर कवरेज दिया है। दरअसल, नेता उन जगहों पर नहीं जाते, जहां से उन्हें राजनीतिक फायदा नहीं मिलता। 
 
जब दुश्मन भारतीय सैनिक का सिर काटकर ले गए, तब न तो राहुल गांधी और न ही केजरीवाल उस सैनिक के परिजनों से मिलने गए। उन्हें तो मालूम भी नहीं होगा कि सीमा की रक्षा करने वाला यह वीर भारतीय सैनिक कौन था? हाल ही में सीमा की रक्षा करते हुए जो जवान शहीद हुए हैं, उनके परिजनों तक भी इनकी पहुंच नहीं हुई...
 
केरल में आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, इसकी सुध न तो राहुल ने ली और न ही केजरीवाल ने क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इससे उन्हें किसी तरह का राजनीतिक फायदा नहीं मिलने वाला है। ऐसे और भी कई उदाहरण हो सकते हैं, जहां इन्हें पीड़ित परिवार से मिलना था और इन व्यस्त रहने वाले नेताओं के पास समय की कमी थी। असल में इन नेताओं की नजर वहीं पर टिकी रहती है, जहां जाने से उन्हें राजनीतिक फायदा मिलने वाला होता है। 
 
राजनेताओं के नफे-नुकसान का ताजा उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला जहां मंगलवार को 70 वर्षीय पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल ने जवाहर भवन के पीछे आत्महत्या कर ली। बुधवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक पूर्व सैनिक की मौत को भुनाने में लग गई। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सड़कों पर उतरकर जमकर हंगामा किया और आखिरकार पुलिस को राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को हिरासत में लेना पड़ा...

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