Rahul Gandhi targeted government regarding electoral bonds : कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के उच्चतम न्यायालय जाने को लेकर सरकार की आलोचना की और इसे लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'असली चेहरे' को छिपाने का 'अंतिम प्रयास' बताया।
चुनावी बॉण्ड का सच जानना देशवासियों का हक : गांधी ने एक्स पर कहा, नरेंद्र मोदी ने चंदे के धंधे को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। उन्होंने कहा, जब उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि चुनावी बॉण्ड का सच जानना देशवासियों का हक है, तब एसबीआई क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?
गांधी ने दावा किया कि एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है। उन्होंने कहा, देश की हर स्वतंत्र संस्था मोडानी परिवार बनकर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है। चुनाव से पहले मोदी के असली चेहरे को छिपाने का यह अंतिम प्रयास है।
SBI ने कोर्ट से क्या कहा? : याचिका में कहा गया है कि चुनावी बॉण्ड को डिकोड करना और दानकर्ताओं द्वारा दिए गए दान का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीति के वित्त पोषण के लिए लाई गई चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। इसके साथ-साथ कोर्ट ने चंदा देने वालों, बॉण्ड के मूल्यों और उनके प्राप्तकर्ताओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें : लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने SBI को छह साल पुरानी योजना में दानकर्ताओं के नामों का निर्वाचन आयोग को खुलासा करने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्देश दिया था कि SNI को राजनीतिक दलों द्वारा भुगतान कराए गए सभी चुनावी बॉण्ड का ब्योरा देना होगा। (इनपुट एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour