नई दिल्ली। रेलवे अगले तीन साल में नई लाइनों, दोहरीकरण तिहरीकरण एवं अमान परिवर्तन के काम के लिए 80 हजार करोड़ रुपए के कच्चे माल की खरीद करेगी और निर्माण कार्य के औचक निरीक्षण एवं ऑडिट के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग करेगी।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजीनियरिंग) वीके गुप्ता ने बताया कि रेलवे अगले तीन साल में करीब 80 हजार करोड़ रुपए की लागत से सीमेंट, इस्पात, कांक्रीट के स्लीपर, मोटर्स, सिग्नल केबिल आदि की खरीद करेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी।
उन्होंने कहा कि पहले रेलवे पैसा मिलने के बाद परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती थी लेकिन अब पुख्ता निवेश आश्वासन के कारण परियोजना का क्रियान्वयन तेज हुआ है। इसी वजह से जहां वर्ष 2014-15 में 16000 करोड़ रुपए और वर्ष 2015-16 में 28000 करोड़ रुपए खर्च हुए तथा वर्तमान वित्त वर्ष में 46000 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है।
उन्होंने बताया कि इससे वर्ष 2014-15 में प्रतिदिन 5.4 किलोमीटर पटरी बिछाई गईं, लेकिन वर्ष 2016-17 में यह गति 7.7 किलोमीटर प्रतिदिन तथा वर्ष 2017-18 में 13 किलोमीटर प्रतिदिन और वर्ष 2018-19 में 19 किलोमीटर प्रतिदिन तक लाने का लक्ष्य है।
गुप्ता ने कहा कि रेल परियोजनाओं की ऑनलाइन निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उत्तर रेलवे में सुल्तानपुर-लंबुआ तथा मध्य रेल के सीबू-उरान के बीच दोहरीकरण काम की ड्रोन निगरानी की गई जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। सभी जोनों के महाप्रबंधकों को इस बारे में पत्र लिखा गया है कि वे निर्माण कार्यों पर निगरानी के लिए ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दें।