जम्मू कश्मीर में बारिश ने मचाई तबाही, रातभर रूकी रही वैष्णोदेवी यात्रा

सुरेश एस डुग्गर

शनिवार, 20 अगस्त 2022 (21:43 IST)
जम्मू। बारिश ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में तबाही मचाई है। भारी बारिश के कारण वैष्णोदेवी की यात्रा रातभर रूकी रही। पहली बार कटड़ा के लोगों ने बाण गंगा का रौद्र रूप भी देखा। तो उधमपुर में एक मकान ढहने से 2 बच्चों की मौत हो गई, जबकि रियासी के तलवाड़ा में रह रहे विस्थापितों के क्वार्टरों में पानी ने घुसकर तबाही मचाई है।

बारिश के कारण रोक दी गई वैष्णोदेवी यात्रा बहाल कर दी गई है। यात्रियों को पहले कटड़ा में ही रोक दिया गया था। कल मूसलधार बारिश से यात्रा बाण गंगा में ही रोकनी पड़ी। ऊपर पहाड़ों पर हो रही बारिश का पानी बहकर रास्ते पर आ गया था। इसके बाद एहतिहाती कदम उठाते हुए श्रद्धालुओं को आगे जाने से रोक दिया गया। हिमकोटि मार्ग भी पत्थर गिरने के कारण बंद रहा।

माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ के कारण किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है। यात्रा रोक दिए जाने के बाद श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया था। यात्रा सुबह तक अस्थाई तौर पर रोकी गई और शनिवार सुबह मौसम व यात्रा मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित होने के बाद 5 बजे श्रद्धालुओं को यात्रा शुरू करने की इजाजत दे दी गई।

यात्रा आरंभ होते ही बाण गंगा मुख्य द्वार पर एक बार फिर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के सीइओ अंशुल गर्ग ने बताया कि बारिश के दौरान यात्रा मार्ग पर अचानक आई बाढ़ की वजह से किसी तरह की कोई क्षति नहीं पहुंची है।

इस बीच उधमपुर जिले के मुत्तल इलाके के समोले गांव में भूस्खलन की वजह से मिट्टी का मकान गिर गया। मलबे में दबने से दो बच्चों की मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद बचाव दल मौके पर पहुंचा और घर के मलबे से शवों को निकाला।

पुलिस ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि देर रात हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम बचाव कार्य के लिए गांव में पहुंच गई थी। घंटों की मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को मलबे से निकाला गया। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत लाया घोषित कर दिया।

दूसरी ओर भूस्खलन व वर्षा से शुक्रवार को रियासी स्थित तलवाड़ा विस्थापितों के 11 क्वार्टरों में पानी घुस गया। इससे अफरातफरी मच गई। विस्थापित अपने बच्चों व बुजुर्गों को लेकर बाहर की तरफ भागने लगे। इन क्वार्टरों में रहने वाले विस्थापित बेघर हो गए हैं। उनका सारा सामान पानी व मलबे में दबकर नष्ट हो गया। मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने इन्हें सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की बात कही है।

हुर्रियत नेता मीरवायज उमर फारूक की 'नजरबंदी' पर बढ़ा विवाद : क्या कोई नेता या व्यक्ति लगातार 3 सालों तक अपनी मर्जी और खुशी से अपने आपको घर में कैद रख सकता है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस नेता मीरवायज उमर फारूक की 'नजरबंदी' के प्रति दिए गए वक्तव्य के बाद सवाल उठने लगे हैं तथा विवाद और बढ़ गया है।

इस बयान पर बवाल इसलिए मचा है क्योंकि कल उप राज्यपाल ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि मीरवायज उमर फारूक न ही बंद हैं और न ही नजरबंद। यही नहीं उनका वह बयान हास्यास्पद बन गया है कि मीरवायज के घर के बाहर तैनात पुलिसकर्मी उनकी नजरबंदी के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा की खातिर तैनात किए गए हैं।

पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के दिन ही अन्य नेताओं की तरह मीरवायज उमर फारूक को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था। इस नजरबंदी के दौरान न ही उन्हें घर से बाहर जाने की अनुमति दी गई और न ही किसी को उनसे मिलने दिया गया।

पर सरकार ऐसा नहीं मानती। सरकार कहती है कि वे अपनी ‘मर्जी’ से घर के भीतर हैं। सरकार का यह बयान हास्यास्पद लगता है क्योंकि हुर्रियत की ओर से कल जारी वक्तव्य में कहा गया है कि ऐसा कभी संभव नहीं हो सकता कि कश्मीरियों के नेता मीरवायत आप ही घर में बंद होकर रहें।

दरअसल कश्मीर में शांति बहाल करने और शांति बनाए रखने की कवायद के तहत ही मीरवायज उमर फारूक को प्रशासन खतरा इसलिए मानते रहे हैं क्योंकि उसे लगता था कि जन समर्थन उनके साथ है और वे लोगों की विचारधारा को प्रभावित कर कश्मीर में कानून व व्यवस्था की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।

और अब जबकि उप राज्यपाल ने मीरवायज को न ही बंदी माना है और न नजरबंद तो इसे उनकी रिहाई के तौर पर लेने वाली हुर्रियत का कहना था कि अगर मीरवायज सच में आजाद हैं तो उन्हें इस शुक्रवार को जामा मस्जिद में धार्मिक समारोह में शिरकत की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि मीरवायज एक धार्मिक नेता हैं।

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