पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि के विरोध में विपक्ष का हंगामा, बाधित रहे संसद के दोनों सदन

Webdunia
मंगलवार, 9 मार्च 2021 (15:14 IST)
नई दिल्ली। विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्यवृद्धि के विरोध में कांग्रेस नीत विपक्ष के हंगामे के कारण मंगलवार को भी संसद के दोनों सदनों में अवरोध बना रहा तथा कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका। हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा को 2-2 बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
 
मंगलवार को दोनों सदनों की कार्यवाही करीब 1 वर्ष बाद अपने नियमित समय पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई तथा दोनों सदनों के सदस्य अपने अपने सभाकक्ष और गैलरी में बैठे। कामकाज का समय और सदस्यों के बैठने की व्यवस्था बदलने के बावजूद दोनों सदनों में आज मंगलवार को भी वही नजारा देखने को मिला, जो कल सोमवार को दिखा था।
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कांग्रेस नेताओं ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी लाने की मांग करते हुए इसे 2013-14 के स्तर पर लाने का सुझाव दिया। लोकसभा में कांग्रेस के सदस्य पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि के विरोध में नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए। इस दौरान द्रमुक, राकांपा एवं कुछ अन्य विपक्षी दल के सदस्य अपने स्थान से ही विरोध दर्ज करा रहे थे। हंगामे के कारण प्रश्नकाल की कार्यवाही बाधित रही और शून्यकाल भी सामान्य रूप से नहीं चल सका।
 
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि टीवी कैमरे विपक्ष के सदस्यों की तरफ फोकस नहीं हैं और उन्हें ब्लैकआउट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सदन में सबका अधिकार समान है लेकिन विपक्ष के साथ डिजिटल भेदभाव चल रहा है। चौधरी ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष जो कुछ कहता है, वह टीवी में आता है लेकिन विपक्ष को ब्लैकआउट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कैमरा सब पर फोकस होना चाहिए।
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इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सवाल किया कि क्या आप देश की जनता को यह शोर और हंगामा दिखाना चाहते हैं? संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ये (कांग्रेस के कुछ सदस्य) रुकावट पैदा करते हैं, हंगामा करते हैं। क्या ये लोग (कांग्रेस) टीवी के जरिए देश को हंगामा दिखाना चाहते हैं?
 
सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच अध्यक्ष ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया। इस दौरान कांग्रेस के सदस्य महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के मुद्दे पर आसन के समीप नारेबाजी करते रहे। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम सभी ने व्यवस्था बनाई थी कि हम प्रश्नकाल चलने देंगे, क्योंकि प्रश्नकाल सबसे महत्वपूर्ण काल होता है। सदस्य अपने क्षेत्र के विषय पर सवाल पूछते हैं। मेरी भी कोशिश होती है कि सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों का उन्हें जवाब मिले।

उधर राज्यसभा में भी यही नजारा देखने को मिला। उपसभापति हरिवंश ने सुबह शून्यकाल में कहा कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र, शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी और द्रमुक के टी. शिवा की ओर से नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिले हैं जिनमें उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर तुरंत चर्चा का अनुरोध किया है। नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर पहले चर्चा की जाती है।
 
हरिवंश ने कहा कि इस संबंध में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कल ही व्यवस्था दे दी थी और उनके फैसले पर फिर से विचार नहीं किया जा सकता। सदस्य मौजूदा सत्र में कई अवसरों पर इस मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांग पर जोर देते रहे और कुछ सदस्य विरोध जताते हुए आसन के समीप भी आ गए।  हंगामे के बीच ही उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष खडगे ने कहा कि उन्होंने आज नया नोटिस दिया है जिसमें केरोसिन, रसोई गैस, डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि का जिक्र किया गया है।
 
इस पर हरिवंश ने एक बार फिर कहा कि सभापति के कल के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता। 2 बार के स्थगन के बाद दोपहर 2 बजे बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा शुरू कराने की कोशिश की। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अध्यादेश के कारण इस विधेयक को पारित कराया जाना जरूरी है। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।
 
लेकिन विपक्षी सदस्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते रहे। उपसभापति हरिवंश ने भी जोर दिया कि मौजूदा विधेयक अध्यादेश से संबंधित है और इस पर तत्काल चर्चा जरूरी है। इस पर खडगे ने कहा कि विपक्ष किसी विधेयक को रोक नहीं रहा है लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की समस्या बहुत बड़ी है और इससे गरीब एवं आम लोग बहुत परेशान हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी करनी चाहिए और उन्हें 2013-14 के स्तर पर लाना चाहिए। इस दौरान कुछ विपक्षी सदस्य आसन के समीप भी आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हंगामे को देखते हुए उपसभापति ने 2 बजकर करीब 10 मिनट पर बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सोमवार को भी विपक्ष ने इसी मुद्दे पर हंगामा किया था जिससे बैठक की कार्यवाही पूरे दिन बाधित रही थी।

कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल लोकसभा एवं राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की व्यवस्था को परिवर्तित करते हुए दोनों सदनों की बैठक के समय में भी बदलाव किया गया था। पिछले साल सितंबर में मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा लोकसभा दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक चलती थी। बीच के 2 घंटे के दौरान सदन कक्षों की सफाई कर इसे संक्रमणमुक्त बनाया जाता था। संसद में पिछले साल शीतकालीन सत्र नहीं हुआ था। इस बार बजट सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 9 से अपराह्न 2 बजे तक तथा लोकसभा की बैठक अपराह्न 4 से रात 9 बजे तक निर्धारित की गई थी। (भाषा)

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