RajyaSabha : सदन की मर्यादा तार-तार, नायडू की भावुक अपील बेअसर, पेपर फाड़कर फेंके गए, विपक्ष का आरोप- महिला सदस्यों के साथ मार्शल ने की धक्का-मुक्की

Webdunia
बुधवार, 11 अगस्त 2021 (21:16 IST)
नई दिल्ली। आज भी सदन की मर्यादा तार-तार हुई। सभापति के समझाने के बावजूद राज्यसभा में पेपर फाड़कर हवा में फेंके गए। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन में हुई घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए बुधवार को रुंधे गले से कहा कि वह रात भर सो नहीं सके क्योंकि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई।

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कल की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि वह इस वरिष्ठ सदन की गरिमा पर आघात के कारण का पता लगाने के लिए प्रयास करते रहे। शरद पवार ने कहा 55 साल के राजनीतिक करियर में कभी ऐसा नहीं देखा। सांसदों पर वैंकेया नायडू की भावुक अपनी का कोई असर नहीं दिखा। सरकार और विपक्ष ने एक-दूसरे पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया।
 
महिला सदस्यों पर धक्का-मुक्की का आरोप : राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आरोप लगाया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्ष की महिला सदस्यों के साथ धक्कामुक्की की और उनका अपमान किया। हालांकि सरकार ने उनके आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ‘सत्य से परे’ है। खड़गे ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विपक्ष के सदस्य जब विरोध प्रदर्शन के लिए आसन के निकट जाते हैं तो पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी का एक घेरा बना दिया जाता है।
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उन्होंने कहा कि हमारी महिला सदस्य आ रही हैं... घेरा बना लिया जा रहा है... धक्कामुक्की की जा रही है...महिला सदस्यों का अपमान हो रहा है... महिला सांसद सुरक्षित नहीं हैं... यह संसद और लोकतंत्र का अपमान है।’ इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने खड़गे के आरोपों का प्रतिकार करते हुए कहा कि यह ‘‘सत्य से परे’’ हैं। उन्होंने पलटकर आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्यों ने महिला सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्कामुक्की की है।
 
उन्होंने कहा कि लोगों ने हमें जनादेश दिया और हम विधेयक पारित करवा रहे हैं। संसदीय इतिहास में विपक्षी सदस्यों का इस प्रकार का आचरण कभी नहीं देखा गया। नेता विपक्ष ने जो आरोप लगाए हैं वह सत्य से परे है।’’ उन्होंने कहा कि जिस भी सदस्य ने महिला सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्कामुक्की की है उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
 
इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा से ‘साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021’ को मंजूरी मिलने के बाद आरोप लगाया कि सदन के भीतर सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में यह विधेयक पारित कराया गया जो बहुत ही ‘अत्याचार’ था।
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उच्च सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘ बीमा संशोधन विधेयक राज्यसभा में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में पारित किया गया। सरकार ने इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने से इनकार कर दिया, जबकि सभी विपक्षी दलों ने इसकी मांग की थी। इनमें से कुछ दल तो भाजपा के निकट हैं। आज की शाम जो हुआ वह बहुत ही ‘अत्याचार’ था।’
 
समिति गठित करने का आग्रह : संसद के मानसून सत्र में हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण की कड़ी निंदा करते हुए राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने बुधवार को सभापति से आग्रह किया कि वह इसके लिए एक समिति का गठन करें और दोषी सदस्यों के खिलाफ ‘‘कड़ी से कड़ी कार्रवाई ’’ करें।
 
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले गोयल ने पूरे सत्र के दौरान विपक्षी दलों द्वारा किए गए हंगामे और इस दौरान कागज फाड़कर आसन की ओर फेंकने सहित अन्य विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल सत्र की शुरुआत से ही संसद ना चलने देने की ठानकर आए थे।
 
उन्होंने कहा कि आज पीठासीन अध्यक्ष, महासचिव पर हमला करने की कोशिश की गई और सबसे ‘‘निदंनीय’’ यह हुआ कि एक महिला सुरक्षाकर्मी की गला घोंटने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है। ऐसा व्यवहार देश को बर्दाश्त नहीं है। आप वारदात की गहराई में जाएं। जो भी रिकार्ड हैं, उसके हिसाब से पूरी वारदातों की छानबीन करें। हम इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं इनकी जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की जाए।
 
उन्होंने आग्रह किया कि पूरी छानबीन के बाद दोषी सदस्यों के खिलाफ ‘‘कठोर से कठोर’’ कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। उन्होंने कहा कि साधारण कार्रवाई से न्याय नहीं हो सकता है। कठोर कदम उठाइए ताकि आगे चलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो और सदस्यों द्वारा सदन में भद्दा प्रदर्शन ना किया जाए। इसके हर पहलू में जाकर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। ताकि कोई भी सदन का अपमान ना कर पाए। गोयल ने कहा कि सदन में जो दृश्य देश ने देखा है, उसका जवाब वह आने वाले दिनों में देगा।
 
नेता सदन ने कहा कि विपक्ष शुरू से ही ठानकर आया था कि मानसून सत्र को वह ठप कर देंगे और उसके अनुकूल ही उन्होंने सदन में व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने लगातार विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधा और सदन चलाने की कोशिश की लेकिन वह अपने रुख पर कायम रहे और इस दौरान उन्होंने आसन से लेकर सदन और देश का अपमान किया।
 
सदन में सुरक्षाकर्मियों के साथ विपक्षी सदस्यों के कथित दुर्व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि कोविड-19 के बावजूद उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सदन के सुचारू संचालन में मदद की लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामे और प्रदर्शन के दौरान कोविड संबंधी नियमों का पालन नहीं किया। गोयल ने कहा कि उन्होंने (विपक्षी सदस्यों) हर कोविड प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का उल्लंघन किया। यह शर्मनाक व्यवहार था। पहले से ही सोच कर आए थे कि सदन को चलने नहीं देंगे।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 के संबंध में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के शामिल ना होने का भी जिक्र किया और कहा कि यह इस महामारी को लेकर विपक्ष के रवैये को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के अलावा अर्थव्यवस्था की स्थिति और किसानों के विषय पर चर्चा को लेकर सभी पक्षों में सहमति बनने के बावजूद विपक्षी दलों ने व्यवधान डाला और कार्यवाही नहीं चलने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कौन अधिक सदन में हंगामा कर सकता है इसको लेकर विपक्षी दलों के बीच होड़ लगी हुई थी। उन्होंने कहा कि इस सत्र में विपक्ष का जो व्यवहार रहा, वह मैंने कभी अपने राजनीति जीवन में नहीं देखा।
 
गोयल ने पेगासस जासूसी मामले में बयान दे रहे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से तृणमूल कांग्रेस सदस्य शांतनु सेन द्वारा बयान छीनकर फाड़ देने और सदन की लाबी में एक सदस्य द्वारा कांच का दरवाजा तोड़ देने के कारण एक महिला सुरक्षाकर्मी के घायल होने की घटना का उल्लेख करते हुए इन्हें दुखद बताया।

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