गुजरात में कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी अहमद पटेल को रोकने के लिए पूरी भारतीय जनता पार्टी एक होकर लगी हुई थी, तो उसी प्रकार से राज्यसभा की 1 सीट वर्चस्व की लड़ाई का सबब बनी हुई है। चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या फिर समाजवादी पार्टी, वे किसी भी प्रकार से इस सीट को गंवाना नहीं चाहती हैं।
समाजवादी पार्टी को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा, जब नरेश अग्रवाल के बेटे व समाजवादी पार्टी के विधायक नितिन अग्रवाल समाजवादी पार्टी की बैठक में न पहुंचकर भारतीय जनता पार्टी की बैठक में पहुंचे और बीजेपी के रात्रिभोज में शामिल हुए तो माना गया कि कहीं-न-कहीं समाजवादी पार्टी की जीत के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा था।
राजा भैया व उनके साथी विधायक के रात्रिभोज में पहुंचते ही समाजवादी पार्टी को संजीवनी-सी मिल गई और भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा, क्योंकि एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी यह मान चुकी थी कि समाजवादी विधायक नितिन अग्रवाल के टूटते ही समाजवादी पार्टी के अरमानों पर पानी फिर जाएगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत और नितिन अग्रवाल की जगह पूरी करते हुए राजा भैया ने यह संदेश भी दे डाला कि जब भी समाजवादी पार्टी को उनकी जरूरत होगी तो उसके साथ राजा भैया व उनके साथी विधायक खड़े हैं।
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश की राज्यसभा की 10 सीटों में से 8 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी आराम से चुनाव जीत रही है, तो वहीं समाजवादी पार्टी नौवीं सीट पर आराम से चुनाव जीत रही है लेकिन 10वीं सीट को लेकर संघर्ष साफतौर पर देखा जा सकता है। जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी गठबंधन के धर्म को निभाने में जुटी है, तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने 10वीं सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सबब बना लिया है। वह हर कीमत पर भाजपा सीट पर विजय प्राप्त करके फूलपुर और गोरखपुर के उपचुनाव का बदला समाजवादी पार्टी से लेना चाहती है।