भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दिल्ली में राजग की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर कोविंद का नाम घोषित किए जाने के साथ ही दयानंद विहार कॉलोनी के निवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। कोविंद का एक घर इसी कॉलोनी में है। बड़ी संख्या में लोग अपने पड़ोसी को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजाने उतर पड़े और उन्होंने जमकर पटाखे भी जलाए।
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के जनसम्पर्क अधिकारी रहे अशोक त्रिवेदी ने बताया कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं। कोविंद की पसंदगी के बारे में त्रिवेदी ने बताया कि वह अतंर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं। उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं। वे लगातार उनके संपर्क में हैं और वर्ष 2012 में उनकी पत्नी के निधन पर वे उनके घर आए थे।
कोविंद के पड़ोसी देवेन्द्र जुनेजा ने उन्हें राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरे लिए और उन सभी के लिए खास दिन है, जो कोविंद जी को निजी तौर पर जानते हैं। वे जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं और अपने आसपास रहने वाले लोगों की हमेशा फिक्र करते हैं। कानपुर देहात स्थित कोविंद के पैतृक गांव परौख में दीवाली जैसा माहौल है। कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद गांव के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटकर तथा पटाखे दगाकर खुशियां मनाईं।
कोविंद की भानजी और पेशे से शिक्षिका हेमलता ने कहा कि हम उनसे करीब 10 दिन पहले पटना में मिले थे, तब तक हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के प्रत्याशी बनेंगे। यह हमारे लिए गर्व की बात है। (भाषा)