दुर्लभ खनिज ऐसे 17 केमिकल पदार्थ होते हैं जो पृथ्वी की भीतरी परतों में दबे पड़े हुए हैं। इनका अत्यधिक उपयोग इंसानों द्वारा विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है। वर्तमान जीवनशैली इन्हीं खनिजों पर आधारित है। भारत में भी दुर्लभ खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, हालांकि ये चीन और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में काफी कम मात्रा में भारत में पाए जाते हैं।
चीन के पास वर्तमान में दुर्लभ खनिजों का सबसे अधिक भंडार है, लेकिन उसने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगा रखी है। चीन के निर्यात न करने से एशिया में बाकी देश भारत की ओर निर्यात के लिए देखते हैं। भारत के पास कुल 1065 मिलियन टन दुर्लभ खनिज मौजूद है, जिसका उपयोग सेना और आकाश में तरक्की के लिए किया जाता है।
चीन के पास दुर्लभ खनिजों का बहुत बड़ा भंडार है, लेकिन फिर भी वह अन्य देशों को इसके फायदा नहीं लेने देता। कहीं चीन की यह कोई चाल तो नहीं जिसके द्वारा वह अपने खनिज पदार्थ बचाकर रखना चाहता हो।
दुर्लभ खनिजों के विभिन्न प्रकार।
इन 17 खनिजों को दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है। पहला प्रकार होता है हल्के दुर्लभ खनिज। दूसरा प्रकार होता है भारी दुर्लभ खनिज।
वैश्विक स्तर पर दुर्लभ खनिज का उत्पादन और खपत।
वैश्विक स्तर पर दुर्लभ खनिज का कुल उत्पादन 133,600 टन सालाना है। वैश्विक स्तर पर दुर्लभ खनिज की खपत 130,000 टन सालाना है। माना जा रहा है कि 2035 तक, दुर्लभ खनिज की खपत सालाना 350,000 से अधिक हो जाएगी।