उन्होंने 2004 से लेकर 2013 तक लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया। अगर कांग्रेस की बात की जाए तो उसके प्रधानमंत्रियों ने 70 वर्ष के इतिहास में 55 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। इसमें से 38 बार यह गौरव नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों को मिला। कांग्रेस नेता पीवी नरसिंह राव ने पांच बार तथा पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद देश की बागडोर संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने दो बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों में अटलबिहारी वाजपेयी सबसे आगे हैं। उन्होंने छ: बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद मोदी हैं, जो अब तक तीन बार तिरंगा फहरा चुके हैं।आपातकाल के बाद 1977 में देश में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने वाले मोरार जी देसाई को दो बार लालकिले की प्राचीर पर झंडा फहराने का मौका मिला। चार प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह एवं विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को एक-एक बार यह सम्मान मिला।
चंद्रशेखर एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें लालकिले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और राष्ट्र को संबोधित करने का अवसर नहीं मिला। पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु होने के समय दो बार कुछ कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले गुलजारी लाल नंदा को भी यह राष्ट्रीय अवसर नहीं मिला।