नीरज के पुत्र शशांक प्रभाकर ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला है।
4 जनवरी, 1924 को उत्तरप्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में जन्मे नीरज के एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 'पहचान' फिल्म के गीत बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं... और 'मेरा नाम जोकर' के ए भाई! ज़रा देख के चलो... ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया।