श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में गणतंत्र दिवस की तैयारियों में अब राज्य के प्रत्येक कस्बे की घेराबंदी को भी शामिल करने की तैयारी आरंभ हो गई है। विशेषकर कश्मीर घाटी के प्रत्येक कस्बे और जम्मू व श्रीनगर जैसे राजधानी शहरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन चिंता में है, जबकि गणतंत्र दिवस के नजदीक आते ही जम्मू कश्मीर दोहरे खतरे से सहमने लगा है।
यह खतरा सिर्फ पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर ही नहीं है बल्कि राज्य के भीतर भी आतंकी हमलों का खतरा सुरक्षाबलों के साथ-साथ आम लोगों की नींद हराम करने लगा है। श्रीनगर शहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बात को मानें तो अब यह सब गणतंत्र दिवस की तैयारियों के हिस्से बन चुके हैं तथा सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने के लिए इसलिए कहा गया है क्योंकि आतंकवादी 29 सालों की तरह इस बार भी अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाने के लिए कुछ भी बड़ा कर सकते हैं।
इस प्रकार की गणतंत्र दिवस तैयारियां, जिसे स्थानीय नागरिक घेराबंदी के रूप में ले रहे हैं, कैसी हैं इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि सिर्फ श्रीनगर शहर में अन्य सुरक्षाबलों के अतिरिक्त केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की और आठ कम्पनियों को तैनात कर दिया गया है जबकि पहले से ही अकेले श्रीनगर शहर में 12 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। हालांकि कश्मीरी जनता के लिए यह पहली बार सुखद अनुभव है कि घर-घर तलाशी अभियानों में स्थानीय पुलिस भी शामिल है।
श्रीनगर शहर में आजकल सड़क चलते लोगों को रोक कर उनकी जामा तलाशी लेने, पहचान परेड के लिए रोकने आदि के कार्य अनवरत रूप से जारी हैं। विशेषकर उस स्टेडियम के आसपास यह सबसे अधिक है जहां गणतंत्र परेड होनी है तथा जिसे आतंकी गुट उड़ाने की धमकी दे रहे हैं।
इतना जरूर है कि स्टेडियम के आसपास के इलाकों और जम्मू के एमएएम स्टेडियम के आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए जिंदगी नर्क बनने लगी है। जिन्हें कई बार रात के अंधेरे में भी पहचान परेड और तलाशी के लिए भीषण ठंड में 'जैसे हैं वैसे' के आधार पर घरों से बाहर आना पड़ता है।
राह चलते लोगों की जामा तलाशी और पहचान परेड का नतीजा है कि अधिकतर लोग 26 जनवरी तक घरों से बाहर निकलना पसंद ही नहीं करते और अगर मजबूरी हो तो वे अपने निर्धारित समय से कई घंटे पहले ही निकल पड़ते हैं। तलाशी में कितना समय बर्बाद होगा कोई नहीं जानता, महाराज बाजार का जावेद अहमद कहता था तो इन सब पर जम्मू के एक पुलिस अधिकारी का कहना था कि हम कोई खतरा मोल नहीं ले सकते।
गणतंत्र दिवस को लेकर अलगाववादी दलों ने भी हड़ताल और बंद का आह्वान कर उस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने को कहा है जबकि सच्चाई यह है कि जिन इलाकों में तलाशी अभियान चल रहे हैं वहां वैसे ही कई दिनों से ‘हड़ताल’ और ‘बंद’ की ही स्थिति है।