अनुसंधान के दौरान क्षेत्रीय जलवायु मॉडल और आंकड़ों का पुनर्विश्लेषण सहित कई तकनीकों का उपयोग किया गया, ताकि इन विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न होने वाले जल-मौसम संबंधी परिणामों के जटिल तंत्र पर प्रकाश डाला जा सके।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई, भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे सहित अनुसंधान में शामिल वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान जलवायु परिस्थितियों का आकलन किया जो अल नीनो-दक्षिणी दोलन जैसी परिस्थितियों को प्रभावित करते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अनुसंधान पत्र में लिखा, अनुसंधान के नतीजे बताते हैं कि भारत की विशाल नदी जोड़ो परियोजनाओं का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, प्रस्तावित परियोजना में अति जल वाली नदी बेसिन से कम जल वाली नदी बेसिन में जलाश्य और नहरों द्वारा जल का स्थानांतरण बिना जलीय मौसमी असर के विस्तृत समझ से किया जाएगा।