अतीत की स्मृतियों को बदलने की कोशिश करने वाले खुद इतिहास के फुटनोट में दर्ज हो गए, राज्यसभा में सांसद मनोज झा की खरी-खरी

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (15:53 IST)
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राष्ट्रीय जनता दल  के सांसद मनोज झा का दिया गया बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आरजेडी सांसद ने अपने भाषण में जिस अंदाज में केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए वह अब काफी सुर्खियों में है। मनोज झा ने सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए कहा कि “बेवफा बावफा नहीं होता, वरना इतना बुरा नहीं होता। हमने तो सोचा था, बाद लुटने के बाद यह पता चला कि रहजन रहनुमा नहीं होता”। 
 
मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण किसी दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए। राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश का ब्लूप्रिंट होता है। राष्ट्रपति के भाषण से देश को दिशा और दशा देने की कोशिश होती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में अगर इस बात का जिक्र न हो तो ये बातें न होकर, भाषण महज एक कागज के पुलिंदा लगता है। हर सरकार को इसका पालन करना चाहिए। राष्ट्रपति भाषण को दलीय राजनीति के उपर से कर देना चाहिए। राष्ट्रपति देश के राष्ट्रपति है उनके अभिभाषण में देश का सरोकार दिखना चाहिए। 

मनोज झा ने कहा कि इतिहास की अपनी एक स्मृति होती है और स्मृतियों का एक इतिहास होता है। विश्व गवाह है कि जिस किसी ने अतीत की स्मृतियों के साथ छेड़छाड़ और बदलने की कोशिश की, वे खुद इतिहास फुट नोट में दर्ज हो गए लेकिन इतिहास नहीं बदला।

मनोज झा ने अपने भाषण में मोदी सरकार के इंडिया गेट पर सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगाए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि नेताजी को आपने इम्पीरियल कैनोपी में रखने का प्रयास किया, आज सुभाष चंद्र बोस होते तो वो कहते मुझे ‘दिलों में रखो’।

बिहार से आने आरजेडी सांसद मनोज झा ने बिहार में पिछले दिनों रेलवे भर्ती को लेकर छात्रों के प्रदर्शन कि जिक्र करते हुए लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया । उन्होंने कहा छात्रा चांद नहीं नौकरी मांग रहे थे लेकिन आप (सरकार) ने लाठी बरसाई।
 

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