भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने देश में रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ की समस्या को गंभीर प्रश्न बताते हुए कहा कि भारत ने अपनी परम्परा के तहत हमेशा शरणार्थियों को आश्रय दिया है, लेकिन एक निश्चित समयावधि के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन यहां म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों की देश में हो रही घुसपैठ के सवाल पर कहा कि रोहिग्या घुसपैठ एक गंभीर प्रश्न है। रोहिंग्या शरणार्थियों के संबंध में सरकार को नीति बनानी चाहिए, जिसमें उनको शरण देने की नीति, स्थान और अवधि तय हो। एक कालावधि के बाद शरणार्थियों को वापस भेजने की व्यवस्था बने।
उन्होंने कहा कि सोचना यह चाहिए कि उनको म्यामांर से निष्कासित क्यों किया जा रहा है। कोई भी सरकार दुनिया के नक्शे पर अनावश्यक रूप से कोई द्वेश्मूलक कदम नहीं उठाती और इसलिए म्यामांर सरकार को जब अनुभव हुआ कि इनके कारण समस्याएं खड़ी हो रही हैं तो इनको वहां से निष्कासित किया गया।
उन्होंने कहा कि निष्कासित होने के बाद और कहीं तो उनको आश्रय नहीं मिला। उनके पड़ोस में चीन था, इंडोनेशिया था, लेकिन वे किसी देश में नहीं गए और भारत की सीमा में आ गए। इसलिए समीक्षा इन बिन्दुओं को लेकर करनी पड़ेगी कि वहां से उनको पलायन क्यों करना पड़ा, वहां से उनको निष्कासित क्यों किया गया। इसे समझकर ही अपनी भविष्य की नीति बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत में जो रोहिग्या आए हैं, वे कहां बसे हैं इसका जरा हम विचार करें। वे जम्मू में, हैदराबाद में बसते हैं। कोई भी निर्वासित आता है तो हमारे भारत की परम्परा है कि हमने ऐसे आए हुए लोगों को ठुकराया नहीं है। यहां पर आश्रय दिया है। लेकिन आने वाले इस प्रकार के जो तत्व हैं उनकी पृष्ठभूमि समझे बिना अगर हम आश्रय देंगे तो देश के लिए एक खतरा सिद्ध हो सकता है।
उन्होंने कहा कि आए हुए लोगों के आधार कार्ड बन गए, पैन कार्ड बन गए, मतदाता सूची में नाम आ गए। तो लगता है कि वे केवल आश्रय लेने के लिए नहीं आए। किसी योजना के तहत, षड्यंत्र के तहत वे भारत में स्थान प्राप्त करने के प्रयास लगे हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि यहां की व्यवस्था में इस प्रकार की रचना नहीं है कि ठीक प्रकार से उसका परीक्षण किया जा सके। संघ पदाधिकारी भैय्या जी जोशी ने कहा कि हम सोचते हैं कि किसी भी बाहरी देश के नागरिक को हमारे देश में एक सीमा से अधिक रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
देश में कुछ लोगों द्वारा रोहिंग्या का समर्थन किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो लोग रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर रहे हैं, उनकी पृष्ठभूमि भी देखने और समझने की आवश्यकता है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों की बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध के सवाल पर जोशी ने कहा कि इस मामले पर संतुलित तौर पर विचार करने की आवश्यकता है। प्रदूषण बढ़ाने वाले पटाखों पर रोक लगाई जानी चाहिए और जिनसे प्रदूषण नहीं होता है उन पर रोक नहीं लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कल कोई यह कहे कि दीपावली पर जलने वाले दीये भी प्रदूषण का कारण हैं.....तो इसलिए इस पर गंभीरता से संतुलित रूप से विचार करना चाहिए। देश में लागू की गई जीएसटी कर प्रणाली पर उन्होंने कहा कि सरकार के संबंधित प्रतिनिधि इस पर मंथन कर रहे हैं और जहां आवश्यकता होगी इसमें सुधार किए जाएंगे।
उन्होंने आरक्षण के विषय में कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस उद्देश्य के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है, उस उद्देश्य की पूर्ति तक आरक्षण रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण प्राप्त करने वाले समाज को ही यह तय करना चाहिए कि उसे कब तक आरक्षण की आवश्यकता है।
केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे करने के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, धारा 370 हटाने और समान नागरिक संहिता लागू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये सवाल सरकार से किए जाने चाहिए।
संघ की बैठक में विचार किए गए मुद्दों में बारे में बताते हुए सरकार्यवाह जोशी ने कहा कि संघ की दो तिहाई शाखाएं गांव में और एक तिहाई नगरों में चलती हैं। चूँकि भारत में लगभग 60 प्रतिशत समाज गांव में बसता है। वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीण परिवेश के समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं, इसलिए संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में शाखाओं के माध्यम से गांवों में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
उन्होंने कहा कि गांव में समरसता की बड़ी चुनौती है। गांव में सही जानकारी और सही दृष्टिकोण पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। जोशी ने बताया कि बैठक में ग्राम विकास और कुटुंब प्रबोधन के विषय में विचार-विमर्श करके कार्ययोजना बनाई गई है। पिछले कुछ समय से गांव और किसान अनेक मुद्दों से जूझ रहे हैं। संघ का विचार है कि किसान को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। किसानों के मुद्दों को समझकर उनके अनुकूल नीति सरकार को बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संघ प्रयास करेगा कि किसान जैविक खेती की ओर लौटें। संघ ने इस दिशा में कुछ योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को नीति बनानी चाहिए ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके। उन्होंने बताया कि ग्राम विकास के क्षेत्र में कार्य करने के लिए संघ 30-35 आयुवर्ग के व्यक्तियों को अपने साथ जोड़ेगा।
उन्होंने बताया कि परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए संघ ने कुटुंब प्रबोधन का काम अपने हाथ में लिया है। संघ कार्य के माध्यम से देश के लगभग 20 लाख परिवारों तक पहुंचा है। एक अनुमान के अनुसार सवा करोड़ लोग संघ के संपर्क में आए हैं। समाज में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए कुटुंब प्रबोधन के कार्य को बढ़ाने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में जिन विषयों पर विचार किया गया है, मार्च में होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।
संघ की इस प्रमुख बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित देशभर के सभी प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए तथा इसमें संघ द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा के साथ ही अगले तीन चार वर्षों के कार्यों का लक्ष्य निर्धारित किया गया। पत्रकार वार्ता में आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य भी उपस्थित थे। (भाषा)