उस पत्र में मंटों ने भारत में उर्दू जुबान को मिटाए जाने का भी आरोप लगाया। इतना ही नहीं, उन्होंने इस बात की शिकायत की कि भारत में उनकी किताबों को न केवल जाली ढंग से बल्कि अश्लील बताकर छापकर प्रकाशक बेच रहे हैं और नेहरू प्रधानमंत्री होकर कोई करवाई नहीं कर रहे हैं।
'काली सलवार ' खोल दो 'टोबा टेक सिंह', 'ठंढा गोश्त, और 'बू 'जैसी चर्चित कहानियां लिखने वाले मंटो का मात्र 43 वर्ष की उम्र में 18 जनवरी 1955 को लाहौर में निधन हो गया था। प्रेमचंद की तरह मंटो भी बहुत लोकप्रिय हुए। (वार्ता)