शाही इमाम बुखारी को हाईकोर्ट से राहत

शुक्रवार, 21 नवंबर 2014 (11:12 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी द्वारा अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाने के समारोह को कानूनी मान्यता नहीं है। अदालत ने हालांकि शनिवार को होने वाले इस समारोह पर रोक लगाने से इंकार किया।

उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की पीठ ने कहा कि समारोह कानूनी नहीं है और यह उनके (इमाम) पक्ष में कोई विशेष हिस्सेदारी प्रदान नहीं करता है।

पीठ ने इस बारे में 3 जनहित याचिकाओं पर केंद्र, वक्फ बोर्ड और बुखारी को नोटिस जारी किया और उनका जवाब मांगा है जिनमें इमाम की ओर से अपने पुत्र को नायब इमाम नियुक्त करने को चुनौती दी गई है।

उच्च न्यायालय ने बोर्ड से यह भी पूछा कि उसने अभी तक बुखारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? गौरतलब है कि इस संबंध में जनहित याचिकाएं सुहैल अहमद खान, अजय गौतम और वकील वीके आनंद ने दायर की थीं।

इनमें कहा गया था कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और इसके एक कर्मचारी के तौर पर बुखारी अपने पु़त्र को नायब इमाम नामित नहीं कर सकते हैं। गुरुवार को इन 3 याचिकाओं पर जिरह के दौरान केंद्र और वक्फ बोर्ड ने अदालत के समक्ष कहा था कि जामा मस्जिद के शाही इमाम की ओर से अपने पु़त्र को नायब इमाम और अपना उत्तराधिकारी बनाने को कोई कानूनी मान्यता नहीं है।

अदालत की ओर से बोर्ड से इस बारे में कानूनी रुख स्पष्ट करने के बारे में कहे जाने पर वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह जल्द ही बैठक करेगा और बुखारी ने जो किया है उसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इससे पहले केंद्र ने कहा था कि मुगलकाल की यह मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और उसे यह निर्णय करना है कि उत्तराधिकार का नियम नए शाही इमाम को नामित करने पर किस तरह लागू होता है जिसे कि चुनौती दी गई है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी अदालत से आग्रह किया है कि नगर की इस जामा मस्जिद के राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए उसे प्राचीन धरोहर घोषित किया जाए। एएसआई ने दलील दी कि इसके संरक्षण की जरूरत है। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें