शशिकला जेल में, बनाएंगी मोमबत्ती

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017 (19:33 IST)
बेंगलुरू। आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपति रखने के मामले में दोषी अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला को जेल भेज दिया गया। जेल में कैदी नंबर 10711 शशिकला जेल में मोमबत्ती बनाएंगी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने जेल की सजा सुनाई थी। शशिकला जेल में अपनी बची हुई तीन साल 10 महीने और 27 दिन की सजा काटेंगी।

शशिकला ने एक अदालत में आत्मसमर्पण किया। उच्चतम न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनकी सजा बहाल कर दी थी। शशिकला ने विशेष अदालत के न्यायधीश अश्वतनारायण के समक्ष आत्मसमर्पण किया। चेन्नई से सड़क मार्ग से यहां पहुंची शशिकला को कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर होसुर से 28 किलोमीटर दूर पराप्पना अग्रहारा स्थित केंद्रीय कारागार भेज दिया गया।
घर से खाने का अनुरोध ठुकराया : न्यायधीश ने आत्मसमर्पण करने के लिए और दो सप्ताह की मोहलत देने और घर का खाना उपलब्ध कराने का उनका अनुरोध भी ठुकरा दिया। शशिकला के रिश्तेदार वीएन सुधाकरन और एलावारसी ने भी आत्मसमर्पण कर दिया।  पुलिस ने कहा कि शशिकला का काफिला अदालत परिसर के पास पहुंचते ही उसमें शामिल चार कारों को नुकसान पहुंचाया गया। यह पता नहीं चल सका कि किन लोगों ने इन कारों को नुकसान पहुंचाया।
 

न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को बेंगलुरू स्थित निचली अदालत में समर्पण करने तथा चार वर्ष कारावास की सजा का बचा हुआ हिस्सा पूरा करने का निर्देश दिया था।
 
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑन रिकॉर्ड रखे गए दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर हम उच्च न्यायालय के फैसले और आदेश को दरकिनार करते हुए सभी आरोपियों को दोषी करार देने वाले निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हैं। पीठ ने कहा था कि चूंकि जयललिता का निधन हो चुका है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही बंद की जाती है।
 
निचली अदालत ने शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार वर्ष कारावास तथा 10-10 करोड़ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। जयललिता को चार वर्ष कारावास और 100 करोड़ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। न्यायालय ने जयललिता, शशिकला और उनके रिश्तेदारों के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगन की मांग वाली कर्नाटक सरकार की याचिका पर 27 जुलाई, 2015 को नोटिस जारी किया था।
 
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई, 2015 को आदेश दिया था कि विशेष अदालत द्वारा जयललिता को दोषी करार दिया जाना अपुष्ट है और कानून के तहत धारणीय नहीं है। इसके साथ ही तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने का जयललिता का रास्ता साफ हो गया था।
 
विशेष अदालत ने 2014 में जयललिता को भ्रष्टाचार को दोषी करार देते हुए उन्हें चार साल कारावास और 100 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। जयललिता और तीन अन्य लोगों पर आरोप था कि 1991 से 1996 में जयललिता के पहली बार मुख्यमंत्री बतौर कार्यकाल में ज्ञात स्रोतों से ज्यादा 66.65 करोड़ रुपए जमा किए गए।
 
अब निगाहें राज्यपाल पर : तमिलनाडु में सरकार बनाने के लिए इदापड्डी के पलानीस्वामी के दावा पेश किये जाने के एक दिन बाद अब राज्य के नये मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण को लेकर सबकी नजर राज्यपाल सी विद्यासागर राव पर हैं।
 
हालांकि राव की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है जिन्हें सोमवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शक्ति परीक्षण के लिए एक सप्ताह के अंदर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी थी। राज्यपाल ने अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसले के चलते अपना निर्णय लंबित रखा था। कल उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया और शशिकला की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उनके मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदें समाप्त हो गईं। इससे पहले तक वे इस पद की दावेदार थीं।
 
कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ' पनीरसेल्वम को जहां 10 से अधिक सांसदों और कुछ विधायकों का समर्थन मिला वहीं शशिकला पार्टी के 134 में से करीब 120 विधायकों का समर्थन पाने में सफल रहीं। पनीरसेल्वम के पास बहुत अधिक संख्या में विधायकों का समर्थन नहीं है लेकिन वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर उन्हें कहा जाए तो वे सदन में विश्वास मत हासिल करेंगे। अब देखना यह है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों से शक्ति परीक्षण के लिए कहने की एजी की सलाह मानते हैं या पलानीस्वामी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं। उससे पहले उन्होंने टीटीवी दिनकरन और एस वेंकटेश को पार्टी में शामिल किया। उन्हें पांच साल पहले अन्नाद्रमुक प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। (भाषा/ एजेंसियां)

वेबदुनिया पर पढ़ें