सामना के संपादकीय में लिखा है कि 'केंद्र में भाजपा की हिंदुत्ववादी सरकार है, लेकिन राम मंदिर, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे विषयों को बस्ते में बांधकर कामकाज चलाया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के सामने बड़ा सवाल यह है कि भागवत की राम मंदिर निर्माण की घोषणा के बाद क्या बोला जाए।'
शिवसेना ने संपादकीय लिखकर कहा है कि 'शिवसेना संघ प्रमुख भागवत के बयान का समर्थन करती है और इस मुद्दे पर उनके साथ है।' आगे भाजपा पर तंज कसते हुए लिखा है कि 'आरक्षण और राम मंदिर जैसे बयानों और भागवत की भूमिका से भाजपा की देह पर सिहरन आई या रोमांच हुआ, हम बता नहीं सकते।'
शिवसेना ने कहा है- 'हम मानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी में राम मंदिर निर्माण की हिम्मत और धमक दोनों निश्चित तौर पर हैं। जिस दिन वह इस निर्माण कार्य को अपने हाथ में लेंगे, उनकी अफलातून लोकप्रियता में कई गुना इजाफा होगा। लेकिन अमित शाह का 380 सांसदों के बयान के बीच बीजेपी को यह नहीं भूलना चाहिए जब उनके सांसदों की संख्या महज 2 थी तब इसी पार्टी के नेताओ ने रण क्रंदन किया था।'
गौरतलतब है कि मोहन भागवत ने गुरुवार को कोलकाता में एक सभा में कहा था कि मंदिर बनना है। कब कैसे अवसर आएगा आज कोई नहीं बता सकता। लेकिन कब, कैसे कितनी तैयारी रखनी पड़ेगी, आपके सामने जीवन है, जो जीवन हंसते-हंसते चल रहे हैं वो भी हैं। हमें जीवन देने की तैयारी रखनी होगी। ये करेंगे तो भव्य मंदिर बनेगा।'