मुंबई। शिवसेना ने यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदों के एक शिष्टमंडल के कश्मीर दौरे पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बुधवार को कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं है।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में आश्चर्य जताया गया है कि क्या यूरोपीय संघ के शिष्टमंडल की यात्रा भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता में बाहरी हस्तक्षेप नहीं है? इसके साथ ही संपादकीय में विदेशी टीम को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की अनुमति देने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाया गया है।
इसमें पूछा गया है कि जब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में ले जाने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू की अब तक आलोचना की जाती है, तो यूरोपीय संघ के सांसदों को कश्मीर का दौरा करने की अनुमति क्यों दी गई?
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करने के लिए यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का एक शिष्टमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर गया।
केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने हालांकि, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाए जाने तथा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना की है।
विदेशी शिष्टमंडल की यात्रा पर आपत्ति जताते हुए, शिवसेना ने कहा कि कश्मीर कोई अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। संपादकीय में कहा गया है, 'इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के लिए पंडित नेहरू की अभी भी आलोचना की जाती है। यदि आप संयुक्त राष्ट्र का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं, तो आप यूरोपीय संघ के शिष्टमंडल की यात्रा के लिए कैसे सहमत हो गए..यूरोपीय संघ के शिष्टमंडल की यात्रा क्या भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता में बाहरी हस्तक्षेप नहीं है?'
इसमें कहा गया है कि एक विदेशी शिष्टमंडल को कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी गई, लेकिन राजनीतिक दल के नेताओं को अभी भी क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। साथ ही संपादकीय में पूछा गया है कि यूरोपीय संघ का शिष्टमंडल अपने दौरे में क्या करने जा रहा है?
संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटा कर राष्ट्रवाद की भावनाओं को जगाया है। इसमें दावा किया गया है कि यह लड़ाई पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ है और मोदी सरकार ने इस पर विजय हासिल की है।
शिवसेना ने कहा कि यूरोपीय संघ के सांसदों को पर्यटकों के रूप में कश्मीर का दौरा करने के बाद चुपचाप चले जाना चाहिए और वहां का माहौल खराब नहीं करना चाहिए।