शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते। इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? संघर्ष और लड़ाई हमारे जीवन का हिस्सा हैं।
यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है। देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है। देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है। अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा और उसका सम्मान किया जाएगा, इसका ध्यान नए मुख्यमंत्री को रखना होगा।