'स्मृति ईरानी या उनकी बेटी रेस्टोरेंट की मालिक नहीं', गोवा बार विवाद पर HC की टिप्पणी

सोमवार, 1 अगस्त 2022 (20:44 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा के साथ अन्य ने भाजपा नेता स्मृति ईरानी और उनकी बेटी पर 'झूठे तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमले' करने की साजिश रची, जो न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां भोजन और पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जैसा कि आरोप लगाया गया था।
 
हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस के तीन नेताओं द्वारा दिए गए बयान ‘बदनाम करने वाली प्रकृति के और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं”, जिनका उद्देश्य जान-बूझकर ईरानी को 'व्यापक सार्वजनिक उपहास' का पात्र बनाना और भाजपा नेता व उनकी बेटी के 'नैतिक चरित्र व सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना' था।
 
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी द्वारा दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में उसके समक्ष रखे गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए की। 
हाईकोर्ट का 29 जुलाई को दिया गया आदेश सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। अदालत ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में तीनों कांग्रेसी नेताओं को समन जारी किए थे। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने उनके और उनकी 18 वर्षीय बेटी के खिलाफ कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने को लेकर मानहानि का वाद दायर किया है।
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हाईकोर्ट ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा कि मैं रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेज, खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस देखा है, जो किसी एंथोनी डिगामा को संबोधित है, न कि वादी (ईरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को।
 
उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट दिखता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उसकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो। वादी और उसकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं। वादी ने प्रथमदृष्टया यह भी स्थापित किया है कि उसने (ईरानी) या उसकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिये आवेदन नहीं किया था। 
 
अदालत ने कहा कि न तो रेस्तरां और न ही जिस भूमि पर रेस्तरां मौजूद है, उसपर वादी या उसकी बेटी का स्वामित्व है, यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस वादी या उसकी बेटी के नाम पर नहीं है। वादी ने अपने हलफनामे में भी इन तथ्यों की पुष्टि की है।
 
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि वादी भारत सरकार में एक मंत्री के रूप में एक सम्मानित पद पर आसीन है और अपने सार्वजनिक पद की प्रकृति को देखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में उसके बारे में किसी भी जानकारी की अत्यधिक चर्चा होती है और उसका विश्लेषण किया जाता है।
 
उसने कहा कि प्रतिवादी संख्या 1 से 3 (कांग्रेस नेताओं) ने एक दूसरे और अन्य व्यक्तियों और संगठनों के साथ मिलकर वादी और उसकी बेटी पर झूठे, तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमलों की साजिश रची है, जिसका एक सामान्य उद्देश्य वादी व उसकी बेटी की बदनामी, अपयश और प्रतिष्ठा, नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना है।
 
हाईकोर्ट ने कहा कि यह माना जाता है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा दिए गए बयान “बदनाम करने वाली प्रकृति के हैं और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं, जिनका मकसद अधिकाधिक लोगों तक पहुंच बनाना था, जिससे जानबूझकर वादी को सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाया जा सके।”
 
अदालत ने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि स्मृति और उनकी बेटी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जाए। अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी अगर 24 घंटों के भीतर आरोपों से जुड़े ट्वीट, रीट्वीट, पोस्ट, वीडियो और तस्वीर हटाने में असफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मंच ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब स्वयं इससे संबंधित सामग्री हटा दें।
 
स्मृति ईरानी ने मानहानि का वाद कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी बेटी जोइश ईरानी पर गोवा में कथित तौर पर गैर कानूनी बार चलाने का आरोप लगाने और इस मुद्दे को लेकर मंत्री पर हमला करने के बाद दायर किया। कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्मृति को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी।
 
न्यायाधीश ने कहा कि अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और संवाददाता सम्मेलन के अंश को देखने के बाद, प्रथमदृष्टया मेरी राय है कि निंदात्मक आरोप वास्तविक तथ्यों को सत्यापित किए बिना लगाए गए। प्रतिवादियों द्वारा किए गए संवाददाता स्म्मेलन के बाद ट्वीट और रीट्वीट से याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को बहुत क्षति पहुंची।
 
न्यायाधीश ने कहा कि यह उचित है कि प्रतिवादी एक से तीन (कांग्रेस नेताओं) को संवाददाता सम्मेलन में लगाए गए आरोपों को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित सोशल मीडिया से हटाने का अंतरिम निर्देश दिया जाए। अगली सुनवाई के लिए अदालत और रजिस्ट्रार के समक्ष क्रमश: 15 नवंबर और 18 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है।

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