बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि तलाक देने के एक स्वरूप के रूप में तीन तलाक की परंपरा को हतोत्साहित करने के इरादे से फैसला किया गया है कि एक बार में तीन बार तलाक देने का रास्ता अपनाने वाले मुसलमानों का ‘सामाजिक बहिष्कार’ किया जाए और इस तरह के तलाक की घटनाओं को कम किया जाए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि उसने 15-16 अप्रैल को अपनी कार्यसमिति की बैठक में तीन तलाक की परंपरा के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि तलाक के बारे में शरीयत का रुख एकदम साफ है कि बगैर किसी वजह के तलाक देने की घोषणा करना और एक ही बार में तीन बार तलाक देना तलाक का सही तरीका नहीं है। (भाषा)