कांग्रेस की अंतरिम सोनिया गांधी को भेजी गई चिट्ठी में पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की गई थी। यह चिट्ठी मीडिया में आने के बाद ही कांग्रेस में सियासी घमासान शुरू हो गया। चिट्ठी पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्रियों- आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, विवेक तनखा, AICC और CWC के मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद के नाम हैं।
इनके अतिरिक्त भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भटट्ल, एम. वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी और मिलिंद देवड़ा के भी पत्र पर हस्ताक्षर थे। प्रदेश कमेटियां संभाल चुके राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और कौल सिंह ने भी चिट्ठी को अपना समर्थन दिया था। इसके अतिरिक्त अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री और संदीप दीक्षित के भी हस्ताक्षर हैं।
सोनिया गांधी ने बैठक में अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे। बैठक में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर खासे तीखे थे। राहुल ने कहा कि सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था? उन्होंने यहां तक कहा कि चिट्ठी भाजपा के साथ मिलीभगत कर लिखी गई है।
राहुल के आरोपों के बाद वरिष्ठ कांग्रेस गुलाम नबी आजाद उखड़ गए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर मिलीभगत साबित हो गई तो वे इस्तीफा दे देंगे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने चिट्ठी की आलोचना की। प्रियंका गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद के प्रति नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने राहुल के सुर में सुर मिलाया है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान के घटनाक्रम के बाद कांग्रेस बहुत ही फूंक-फूंककर कदम रख रही है क्योंकि मध्यप्रदेश में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार चली गई, जबकि राजस्थान में सचिन पायलट के बागी तेवरों के बाद बड़ी मुश्किल से सरकार बच पाई। फिलहाल तो कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर असमंजस में नजर आ रही है, आगे क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है।