जया लिखती हैं, 'न्यायमूर्ति फुकन ठीक तरीके से काम कर रहे थे और किसी को मामले में विलंब नहीं करने दे रहे थे। उन्होंने घोषणा की कि टेप को जांच के लिए भेजा जा रहा है और तहलका टीम ने आयोग की कार्यवाही का बहिष्कार करने का निर्णय किया जिसे उन्होंने बड़े शांत मन से लिया।'
रूपा प्रकाशन की किताब में लिखा गया है कि आयोग जब काम कर रहा था तभी सोनिया गांधी ने संप्रग और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के प्रमुख के तौर पर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 25-27 सितम्बर 2004 को आधिकारिक रूप से पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि तहलका का वित्त पोषण करने वाले फर्स्ट ग्लोबल से ‘अनुचित व्यवहार’ नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने पत्र की एक प्रति उन्हें उपलब्ध कराई।
किताब में लिखा है, 'तहलका के व्यक्ति को जो मैं बताने का प्रयास कर रही थी, वास्तव में वह भी वही बात कह रही थीं जो जाल में फंसाने के लिए मुझसे मदद के लिए कह रहा था। एक बार फिर से विडंबना हुई...।' (भाषा)