सूत्रों के अनुसार सच्चाई यह है कि जिले में खेल गतिविधियों के लिए स्कूल स्तर पर एक बच्चे को प्रति माह दो रुपए देने पड़ते हैं। सालाना यह हिसाब 24 रुपए बैठता है। अब सवाल यह है कि 24 रुपए में कोई बच्चा कैसे ओलंपिक के लिए तैयार हो सकता है? हैरत की बात यह है कि शिक्षा विभाग के पास खेल गतिविधियों के लिए अलग से बजट की व्यवस्था नहीं है।
खेलों के लिए सबसे पहली सीढ़ी होती है स्कूल, मगर स्कूलों में खेल प्रशिक्षण के लिए शिक्षा विभाग के पास अलग से कोई बजट ही नहीं है। ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरीय खेल कार्यक्रम के लिए स्कूली छात्र-छात्राओं से ही प्रति माह दो रुपए वसूले जाते हैं। यह खेल शुल्क सिर्फ नौंवीं से 12वीं के छात्रों से लिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार हर महीने दो रुपए के हिसाब से सालाना 24 रुपए छात्र को देने होते हैं। इस 24 रुपए में खेलों में जाने का किराया, खाना, पुरस्कार और आयोजन सामग्री शामिल होती है। टिहरी जिले में 276 स्कूलों में नौंवीं से 12वीं तक 60 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। जिनमें से 13800 एससी और एसटी छात्र शामिल हैं, इनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता।