नई दिल्ली। कभी बैंकिंग क्षेत्र के सबसे चमकते चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली वाली चंदा कोचर को वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन का मामला खासा महंगा पड़ गया। लोन विवाद के चलते ही चंदा को 2018 में बैंक के सीईओ पद से इस्तीफा देना पड़ा था। और अब इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। चंदा और उनके परिवार पर लोन आवंटन को लेकर कथित तौर पर अनियमितताओं के आरोप लगे जिसकी लंबे समय से जांच चल रही थी।
क्यों हुई चंदा कोचर की गिरफ्तारी : CBI ने आरोप लगाया कि चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर जवाब देने में आनाकानी कर रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया है। जांच एजेंसी इस मामले में जल्द ही अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर सकती है। इसमें वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ कोचर दंपत्ति को भी नामजद किया जा सकता है।
क्या है मामला : सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपए का ऋण दिया था।
शानदार था शैक्षणिक सफर : राजस्थान के जोधपुर में 17 नवंबर 1961 को जन्मीं चंदा कोचर के पिता रूपचंद अडवाणी जयपुर इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल और मां गृहिणी थीं। जयपुर के सेंट एंजेला सोफिया स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के दौरान ही चंदा के सिर से पिता का साया उठ गया। उस समय उनकी उम्र महज 13 वर्ष थी। पढ़ाई में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने वाली चंदा सिविल सर्विसेज में जाना चाहती थीं, लेकिन फिर उन्होंने फाइनेंस का रुख किया और मुंबई के जय हिंद कॉलेज से बी.कॉम. करने के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ कोस्ट अकाउंटेंट आफ इंडिया से पढ़ाई की।
पढ़ाई का सिलसिला यहीं नहीं रुका। उन्होंने प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा उनके जीवन में पहली स्वर्णिम सफलता लेकर आई, जब उन्हें मैनेजमेंट स्टडीज और अकाउंटेंसी में शानदार प्रदर्शन के लिए गोल्ड मेडल दिया गया।
इस तरह हुई दीपक से शादी : मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान ही चंदा की पहचान दीपक कोचर से हुई और दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई। कॉलेज के आखिरी दिन दीपक ने चंदा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इस दौरान दोनों अच्छे दोस्त बने रहे। फिर 2 साल बाद चंदा ने दीपक के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और कुछ ही समय बाद दोनों ने शादी कर ली।
ऐसे चमका करियर : करियर के सफर की बात करें तो वर्ष 1984 में चंदा ने आईसीआईसीआई बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर कदम रखा और यहां से उनके सपनों को पंख लगने शुरू हुए। इस दौरान उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई उन्होंने उसे बखूबी निभाया और अपनी प्रतिभा के दम पर बैंकिंग सेक्टर पर धीरे धीरे उनकी पकड़ मजबूत होने लगी।
1994 में आईसीआईसीआई संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई, जिसके बाद उन्हें असिस्टेंट जनरल मैनेजर की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। फिर वह डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर, 2001 में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं। देखते ही देखते वह शीर्ष पर पहुंच गईं। एक समय तो उनकी प्रतिदिन कमाई 2.18 लाख रुपए तक दर्ज की गई थी।
शोहरत की बुलंदी पर चंदा : शोहरत की बुलंदी की तरफ बढ़ते चंदा कोचर के कदमों की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2009 में फोर्ब्स पत्रिका ने विश्व की 100 शीर्ष महिलाओं की सूची में चंदा कोचर को 20वां स्थान दिया। यहां खास तौर से यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि इस सूची में सोनिया गांधी को 13वां स्थान दिया गया था। 2011 में देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देकर भारत सरकार ने भी बैंकिंग सेक्टर में चंदा कोचर के योगदान को सम्मान दिया।
साड़ी में ही नजर आती हैं चंदा : एक समय चंदा कोचर अक्सर साड़ी में ही नजर आईं। उन्हें सिल्क और कॉटन की साड़ियां पसंद हैं। वह अक्सर साड़ियों की शॉपिंग करना पसंद करती हैं। चंदा कोचर खाली समय में कोई भी हिंदी फिल्म देखने का मौका नहीं छोड़ती हैं। वह अक्सर बेटे के स्क्वॉश टूर्नामेंट के लिए ऑफिस से 2 घंटे की छुट्टी लेकर जाती थीं। तो कभी बेटी को बोर्ड परीक्षा दिलवाने के लिए बैंक से छुट्टी लेकर परीक्षा केंद्र भी जाती थीं।
मात्र 6 घंटे सोती थी : सीईओ पद की अहम जिम्मेदारी की वजह से चंदा कोचर अक्सर साप्ताहांत यात्राएं करती थीं। काम की वजह से उन्हें मुश्किल से छह घंटे की नींद मिलती थी। उन्होंने एक बार कहा था, मुझे एक्सरसाइज करने का भी समय नहीं मिलता, लेकिन मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मेरा मेटाबॉलिज्म अच्छा है।
अर्श से फर्श पर पहुंचीं चंदा : चंदा की किस्मत के सितारे 2018 तक बुलंदी पर रहे, लेकिन उसके बाद जैसे शिखर से उतरने का सिलसिला शुरू हुआ। मार्च 2018 में उन पर अपने पति को आर्थिक फायदा पहुंचाने के आरोप लगे और मार्च में बैंक ने उनके खिलाफ स्वतंत्र जांच बिठा दी।
ICICI का बड़ा फैसला : जनवरी 2019 में ICICI बैंक की ओर से कराई गई स्वतंत्र जांच में बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर को बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। बैंक ने कहा कि कोचर को 2009-18 के बीच दिया गया बोनस वापस लिया जाएगा। इसके अलावा कोचर को मौजूदा या बकाया पेमेंट नहीं मिलेगा। चंदा कोचर को मिलने वाली सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी।
FIR में भी थे आरोपी : सीबीआई ने आपराधिक साजिश से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2019 में दर्ज प्राथमिकी में दीपक कोचर के प्रबंधन वाली कंपनियों- नुपॉवर रिन्यूबल्स, सुप्रीम इनर्जी, वीडियोकॉन इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटिड, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटिड के साथ-साथ चंदा कोचर और वेणुगोपाल धूत को भी बतौर आरोपी नामजद किया था।