देश के कई भागों में मानसून आने के साथ अग्रवाल ने यह बात कही है। उल्लेखनीय है कि इस साल गर्मी बढ़ने के साथ विभिन्न तापीय बिजलीघरों में कोयले की कमी के कारण देश के कई भागों में लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ा। अग्रवाल ने बातचीत में कहा कि कोयले की उपलब्धता के समय बिजली घरों के संयंत्रों में ईंधन भंडार तैयार करना महत्वपूर्ण होगा। हम आने वाले महीनों में बिजली क्षेत्र को अपने हिस्से के कोयले की आपूर्ति के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं।
हाल में कोयले की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि यह कहना 'उपयुक्त' नहीं है। उन्होंने कहा कि कंपनी के खदान क्षेत्रों में करीब 4.6 करोड़ टन कोयला है जबकि बिजलीघरों में कोयला भंडार करीब 2.4 करोड़ टन है। इसके अलावा 6 करोड़ टन से अधिक कोयला गोदामों, निजी वॉशरीज, बंदरगाह जैसे क्षेत्रों में पड़ा है। इन्हें बिजलीघरों तक पहुंचाया जाना है।
अग्रवाल ने कहा कि हाल के महीनों में मांग और आपूर्ति में अंतर 3 कारणों से आया। पहला, महामारी बाद आर्थिक पुनरुद्धार के साथ बिजली की मांग एकदम से बढ़ गई। दूसरा, देश के पूरे उत्तरी भाग में गर्मी काफी बढ़ गई जिससे मांग बढ़ी। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत पिछले कुछ महीने से चढ़ी हुई है। इससे अंतरराष्ट्रीय कोयला आधारित बिजली संयंत्र ईंधन आयात से बचे।
चेयरमैन ने कहा कि पहली तिमाही हमारे लिए काफी अच्छी रही। चालू वित्त वर्ष के पहले 2 महीनों में सालाना आधार पर उत्पादन में करीब 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 10.8 करोड़ टन रहा। यह इस अवधि में अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है। साथ ही बिजली क्षेत्र को आपूर्ति 10.2 करोड़ टन रही, जो 16.7 प्रतिशत अधिक है।
अग्रवाल ने कहा कि कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2022-23 में बिजली क्षेत्र को 56.5 करोड़ टन कोयला आपूर्ति का लक्ष्य रखा है और कंपनी इस दिशा में प्रयास कर रही है। देश में कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। कंपनी बिजली क्षेत्र को कोयला आपूर्ति के मामले में सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता है।(भाषा)