Supreme Court decision on Maharashtra Issue: महाराष्ट्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde) और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) दोनों ही राहत महसूस कर सकते हैं। एकनाथ इसलिए खुश हो सकते हैं कि राज्य में उनकी सरकार बनी रहेगी, वहीं उद्धव इसलिए प्रसन्न हो सकते हैं कि शीर्ष अदालत ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) और स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि उद्धव मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं इसलिए पुरानी स्थिति को बहाल नहीं किया जा सकता। क्योंकि कोर्ट उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उद्धव ठाकरे दीर्घकालिक परिदृश्य में फायदे के रूप में देख सकते हैं। क्योंकि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने कोश्यारी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, उसे ठाकरे की नैतिक विजय के रूप में देखा जा रहा है। जिसे अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वे अपने पक्ष में भुना सकते हैं। इस फैसले से उत्साहित उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था। गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता? तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी को सत्र बुलाने का अधिकार नहीं था। हम संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। असली शिवसेना आज भी मेरे पास है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट के फैसले से पहले उन्हें सलाह लेनी चाहिए थी। विश्वास मत के लिए अंदरूनी कलह का आधार काफी नहीं था। साथ किसी भी पार्टी की अंदरूनी कलह में राज्यपाल का दखल सही नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने देवेन्द्र फडणवीस और 7 विधायकों की चिट्ठी पर भरोसा किया, जो कि उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं।
दूसरी ओर, अदालत ने स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उद्धव ठाकरे को राहत दी कि स्पीकर ने असली व्हिप की जांच नहीं की। विधानसभा अध्यक्ष को पार्टी द्वारा जारी व्हिप को मानना चाहिए था। अदालत ने यह भी कहा कि बहुमत परीक्षण नियमों के आधार पर होना चाहिए। उद्धव को बहुमत परीक्षण के लिए बुलाना सही नहीं था। हालांकि पूर्व स्थिति को बनाए नहीं रखा जा सकता क्योंकि उद्धव ठाकरे इस्तीफा दे चुके थे।
इसमें कोई संदेह नहीं कि महाराष्ट्र में शिंदे गुट और भाजपा की संयुक्त सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन कर्नाटक से जिस तरह की खबरें आ रही हैं और इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भाजपा को परेशान जरूर कर सकता है। क्योंकि लोकसभा चुनाव से भगवा दल के विरोध में नकारात्मक माहौल बनना जो शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लोगों के मन में यह बात भी आ सकती है कि कोश्यारी केन्द्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे थे और उद्धव नीत अघाड़ी सरकार को जान-बूझकर गिराया गया।