Supreme Court directives: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central government) को मंगलवार को निर्देश दिया कि वह सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस (cashless) उपचार योजना को सही अर्थों में लागू करे। इस योजना के तहत प्रत्येक दुर्घटना में घायल प्रत्येक व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज पाने का हकदार होगा।
केंद्र की खिंचाई की थी : शीर्ष अदालत ने मोटर दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए कैशलेस योजना तैयार करने में देरी को लेकर 28 अप्रैल को केंद्र की खिंचाई की थी और कहा था कि उसके 8 जनवरी के आदेश के बावजूद, केंद्र ने न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की। शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए को 1 अप्रैल, 2022 को 3 साल की अवधि के लिए लागू किया गया था, लेकिन केंद्र ने दावेदारों को अंतरिम राहत के लिए योजना बनाकर इसे लागू नहीं किया।
शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को उनके 'लापरवाह' रवैए के लिए फटकार लगाई और एक तरफ राजमार्गों के निर्माण और दूसरी तरफ 'गोल्डन ऑवर' उपचार जैसी सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली मौतों की ओर इशारा किया। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12-ए) के तहत 'गोल्डन ऑवर' दुर्घटना के बाद के एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है जिसके तहत समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराने से मृत्यु को रोका जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कानून के तहत अनिवार्य 'गोल्डन ऑवर' में मोटर दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस चिकित्सा उपचार के लिए योजना तैयार करने का 8 जनवरी को केंद्र को निर्देश दिया था।(भाषा)