सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया केवल शक्तिशाली आवाजों को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं। उसने कहा कि वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है। अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है।