उच्च न्यायालय ने येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत दर्ज एक आपराधिक शिकायत को रद्द करने से 22 दिसंबर, 2020 को इनकार कर दिया। येदियुरप्पा के फरवरी 2006 से अक्टूबर 2007 तक उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान भूमि के कुछ हिस्से को गैर अधिसूचित करने और उद्यमियों को आवंटित करने का उन पर आरोप लगाया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ येदियुरप्पा की अपील पर कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस और वासुदेव रेड्डी को भी नोटिस जारी किया।
पूर्व मुख्यमंत्री के वकील ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने 2015 में इसी मामले में सह आरोपी रघुनाथ विश्वनाथ देशपांडे के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी थी। साथ ही, येदियुरप्पा के खिलाफ जांच अवैध थी तथा न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के समान थी।