इससे पहले, न्यायालय चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा करने के चलन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था। वकील एवं जनहित याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था।
समान अवसरों में बाधा : उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं और निर्वाचन आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए। याचिका में अदालत से यह घोषित करने का भी आग्रह किया गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से अतार्किक मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, समान अवसरों में बाधा डालता है और चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को दूषित करता है।