Delhi News in hindi : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली में पेड़ों की गणना की जाएगी और 50 या उससे अधिक पेड़ों को काटने के किसी भी अनुरोध को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) मंजूरी देगी। उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर को कहा था कि पेड़ों पर कानून उन्हें बचाने के लिए हैं, काटने के लिए नहीं। न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली वृक्ष प्राधिकरण से कहा कि वह गणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (FRI) और विशेषज्ञों की सहायता ले। यह मुद्दा पर्यावरणविद एमसी मेहता द्वारा 1985 में दायर जनहित याचिका पर आधारित है।
पीठ ने कहा, पेड़ हमारे पर्यावरण का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एहतियाती सिद्धांत के तहत सरकार को पर्यावरण क्षरण के कारणों का पूर्वानुमान लगाना, उन्हें रोकना और उनका उन्मूलन करना चाहिए, जिसमें उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना भी शामिल है।
निर्देश में कहा गया कि वृक्ष अधिकारी द्वारा 50 या उससे अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति दिए जाने के बाद सीईसी द्वारा अनुमोदन किए बिना उस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। पेड़ों की गणना तीन विशेषज्ञों-सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी ईश्वर सिंह और सुनील लिमए के अलावा वृक्ष विशेषज्ञ प्रदीप सिंह की सहायता से की जाएगी।
पीठ ने सीईसी को निर्देश दिया कि वह पेड़ों की कटाई के दस्तावेजों पर विचार करे और निर्णय ले कि अनुमति दी जाए या कोई संशोधन आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर को कहा था कि पेड़ों पर कानून उन्हें बचाने के लिए हैं, काटने के लिए नहीं। न्यायालय ने पेड़ों की गणना और उन्हें बचाने के लिए कदम उठाने के संबंध में आदेश पारित करने के संकेत दिए थे।
नौ दिसंबर को पीठ ने एक एजेंसी नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा, जो राष्ट्रीय राजधानी के घटते हरित आवरण को बढ़ाने की दिशा में सुझाव दे सके। इसने राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की गणना की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था और कहा था कि वह वृक्ष अधिकारी द्वारा किए जाने वाले काम की निगरानी के लिए एक प्राधिकरण बनाना चाहता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour