Supreme Court : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की 7 सदस्यीय संविधान पीठ (Constitution bench) ने बुधवार को फैसला सुनाया कि किसी समझौते पर मुहर न लगने या उचित मुहर नहीं लगने का दस्तावेज की वैधता से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि इस कमी को दूर किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि जिन समझौतों पर मुहर नहीं लगी है, वे अमान्य नहीं होते।
मुहर के बारे में क्या बोला सुप्रीम कोर्ट? : पीठ ने कहा कि जिन समझौतों पर मुहर नहीं लगी है, वे अमान्य नहीं होते। किसी समझौते पर मुहर न होने की कमी को दूर किया जा सकता है। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने अपने और 5 अन्य न्यायाधीशों की ओर से फैसला लिखा। न्यायमूर्ति खन्ना ने एक अलग किंतु सर्वसम्मत फैसला लिखा। शीर्ष अदालत ने 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के अपने पहले के उस आदेश की पुन: समीक्षा पर अपना फैसला 12 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था जिसमें कहा गया था कि बिना मुहर लगे मध्यस्थता समझौते कानून के तहत लागू करने योग्य नहीं हैं।(भाषा)