सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई मायने में बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अब तक देश में 1.21 अरब लोग आधार बनवा चुके हैं और बैंक खातों में सीधे सब्सिडी से लेकर तमाम अन्य तरह की लाभ योजनाओं को लागू करने में इसे महत्वपूर्ण बनाया गया है।
इस मामले में पूर्व हाईकोर्ट जज केएस पुत्तास्वामी समेत करीब 31 याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की थी। इन सभी का कहना था कि आधार योजना शीर्ष अदालत की 9 सदस्यीय सांविधानिक पीठ की तरफ से निजता के अधिकार पर दिए गए फैसले का उल्लंघन है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 38 दिनों तक लगातार सुनवाई के बाद गत 10 मई को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पदोन्नति में आरक्षण : पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर भी बुधवार को पांच सदस्यीय पीठ यह तय करेगी कि 12 वर्ष पूर्व नागराज मामले में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं? 2006 में नागराज से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैंच ने कहा था कि सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है, लेकिन शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं।