शीर्ष अदालत ने मानहानि कानून की धाराओं 499 और 500 को चुनौती देने वाली कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिकाएं खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। हालांकि न्यायालय ने इसके साथ यह भी कहा कि देशभर में मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए गए हैं कि निजी मानहानि की शिकायतों पर समन जारी करते समय अत्यंत सावधानी बरती जाए।
राहुल गांधी, केजरीवाल और स्वामी ने आपराधिक कानून की संवैधानिकता को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि आईपीसी का यह प्रावधान संविधान के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। इस पर सुनवाई के दौरान न्यायाल ने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर कोई नीति किसी को पंसद नहीं है तो उसकी आलोचना मानहानि कानून के दायरे में नहीं आएगी क्योंकि बोलने का अधिकार संविधान से मिला है लेकिन ऐसी कोई भी आलोचना जिससे किसी व्यक्ति विशेष के सम्मान को ठेस पहुंचता हो मानहानि कानून के तहत अपराध माना जाएगा।