प्रभु ने एक साक्षात्कार में कहा कि रेलवे में जो सुधार आरंभ हुए हैं, उसके तहत 5 साल में उसकी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें करीब साढ़े 8 लाख करोड़ की लागत आएगी। दोहरीकरण, तिहरीकरण, चौथी लाइन, विद्युतीकरण तथा नए लोको कारखानों से इस क्षमता को बढ़ाया जाना है।
उन्होंने बताया कि 2019 तक भारत विश्वस्तरीय रेल इंजनों का निर्माण करने लगेगा, जो निर्यात भी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे में 2019 से 2024 के बीच इस 5 वर्षों की तुलना में दोगुना निवेश होगा जिससे रेलवे में असली फर्क दिखाई देने लगेगा।