वकील एजाज मकबूल के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा गया है, 'इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने और पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की मीडिया की कार्रवाई देश भर में मुसलमानों के जीवन और स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने के अधिकार का भी उल्लंघन है।'
याचिकाकर्ता की शिकायत है कि मीडिया ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जिम्मेदार रिपोर्टिंग नहीं की। रिपोर्टिंग में कोरोना जेहाद, आतंकवाद, कोरोना बम जैसे जुमलों का बार-बार इस्तेमाल किया गया। मीडिया के एक तबके ने इस घटना को मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का हथियार बना लिया। (वार्ता)