फांसी के 7 साल बाद आतंकी याकूब मेमन की कब्र को लेकर क्यों छिड़ा विवाद, शिवसेना और BJP आई आमने सामने

गुरुवार, 8 सितम्बर 2022 (22:19 IST)
मुंबई। मुंबई में 1993 के बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की कब्र के रखरखाव कार्य को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने दावा किया है कि उसकी (मेमन की) कब्र का ‘सौंदर्यीकरण’ किया गया है और उसे एक इबादतगाह में बदलने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर भाजपा और शिवसेना आमने-सामने आ गई है।
 
भाजपा ने दावा किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के कार्यकाल के दौरान मेमन की कब्र का ‘सौंदर्यीकरण’ किया गया था और पार्टी ने इस पर उनसे माफी की मांग की। हालांकि, शिवसेना नेताओं ने कहा कि पार्टी और पिछली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है और इसे अनावश्यक रूप से इस मुद्दे में घसीटा जा रहा है।
 
इन खबरों के बाद गुरुवार को हरकत में आई मुंबई पुलिस ने आतंकवादी की कब्र के चारों ओर लगाई गई ‘एलईडी लाइट’ को हटाया। मेमन को 2015 में नागपुर जेल में फांसी दी गई थी और दक्षिण मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
 
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) स्तर का एक पुलिस अधिकारी जांच करेगा कि कैसे एक आतंकवादी की कब्र पर ‘एलईडी लाइट’ लगा दी गई और संगमरमर की ‘टाइलें’ लगाकर उसे संवारा गया।
 
महाराष्ट्र में भाजपा के कुछ नेताओं ने दावा किया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब कब्र को मकबरे में तब्दील कर दिया गया था। ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने कहा कि पूरा मुद्दा बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने का एक प्रयास है।
 
भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि ठाकरे को 250 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की कब्र का ‘सौंदर्यीकरण’ करने की कोशिश के लिए मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
 
भाजपा के एक अन्य स्थानीय नेता ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को भी मामले पर माफी मांगनी चाहिए।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शब-ए-बारात के मौके पर बड़ा कब्रिस्तान में ‘हलोजन लाइट’ लगाई गई थीं और कब्रिस्तान के न्यासियों ने उसे हटा दिया है। मेमन की कब्र के आसपास संगमरमर की ‘टाइल’ करीब तीन साल पहले लगाई गई थीं।
भाजपा के एक स्थानीय नेता ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी इस मुद्दे पर माफी मांगनी चाहिए। शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए एक प्रमुख उत्सव है, जिसे भाग्य और क्षमा की रात के रूप में भी जाना जाता है।
 
अधिकारी ने कहा कि मेमन की कब्र के चारों ओर संगमरमर की टाइल तीन साल पहले लगाई गई थीं। उन्होंने कहा कि इस जगह पर 13 अन्य कब्रें हैं। शिवसेना ने कहा कि पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार का मेमन की कब्र के सौंदर्यीकरण से कोई लेना-देना नहीं था। मेमन को 1993 के मुंबई सीरियल बम विस्फोटों में उसकी भूमिका के लिए 30 जुलाई 2015 को फांसी दी गई थी।
 
मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि बड़ा कब्रिस्तान जहां मेमन की कब्र है, एक निजी संपत्ति है और राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना को इस मुद्दे में क्यों घसीटा जा रहा है? यह कुछ और नहीं, बल्कि देश के समक्ष गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश है। यह समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की भी कोशिश है।
 
सावंत ने जानना चाहा कि मेमन को फांसी दिए जाने के बाद केंद्र और राज्य की तत्कालीन भाजपा-नीत सरकार द्वारा उसका शव परिजनों को क्यों सौंपा गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को समुद्र में दफना दिया, जबकि 26/11 के आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब का शव भी उसके परिजनों को नहीं सौंपा गया।
 
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह मेमन की कब्र पर विवाद पैदा कर मुंबई में निकाय चुनाव से पहले शांति भंग करने की कोशिश कर रही है। पत्रकारों से बातचीत में आदित्य ठाकरे ने कहा कि भाजपा को पहले जवाब देना चाहिए कि 2015 में फांसी के बाद मेमन के शव को दफनाने की अनुमति क्यों दी गई।
 
इस बीच, पुणे के पास पिंपरी चिंचवड़ में पत्रकारों से बात करते हुए, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने दावा किया कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। इस विवाद पर एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि देशद्रोही के बारे में ऐसी बातें देश में नहीं होनी चाहिए।
 
कब्र के सौंदर्यीकरण के इस प्रयास के लिए भाजपा द्वारा एमवीए सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने के बारे में पूछे जाने पर, पवार ने कहा कि कई वर्षों तक, भाजपा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ थी और शिवसेना की वजह से भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच सकी।

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