श्रीनगर। आप इस खबर को पढ़कर अवश्य चौंक जाएंगे कि कश्मीर में स्थानीय कश्मीरी आतंकियों ने 26 साल पहले जो तथाकथित आजादी की जंग छेड़ी थी, वह आतंकवाद में तो बदल ही चुकी है बल्कि इसकी आड़ में अब 36 देशों के आतंकी कश्मीर में आतंकवाद फैला रहे हैं। करीब 36 संगठनों के रूप में इस आतंकवाद को फैलाने में जुटे हुए हैं।
इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया है कि जम्मू कश्मीर राज्य में ही इस समय 36 से ज्यादा आतंकवादी एवं अलगाववादी संगठन हैं, जिनमें से कई अपनी गतिविधियां किसी न किसी रूप में चला रहे हैं और कई पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। सूत्रों ने बताया कि लश्करे तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैशे मुहम्मद, अल बदर, जमातुल मुजाहिदीन, हरकतुल अंसार, लश्करे उमर, हरकतुल मुजाहिदीन, लश्कर ए जब्बार, हरकत उल जेहाद ए इस्लामी घाटी सहित देशभर में आतंक फैलाने में लिप्त हैं।
अधिकारियों के बकौल इन दस प्रमुख संगठनों के अलावा घाटी में अल बर्क, तहरीकुल मुजाहिदीन, अल जेहाद, जम्मू कश्मीर नेशनल लिबरेशन आर्मी, पीपुल्स लीग, मुस्लिम जांबाज फोर्स, कश्मीर जेहाद फोर्स, अल जेहाद फोर्स, अल उमर मुजाहिदीन, महाजे आजादी, इस्लामी जमाते तुलबा, जम्मू कश्मीर स्टूडेंटस लिबरेशन फ्रंट, इख्वानुल मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टूडेंटस लीग, तहरीके जेहादे इस्लामी, मुस्लिम मुजाहिदीन, अल मुजाहिद फोर्स, तहरीके जेहाद, इस्लामी इंकलाबी महाज जैसे संगठन भी काम कर रहे हैं।
यह एक कड़वी सच्चाई है कि पाकिस्तान के समर्थन से जम्मू कश्मीर में करीब 36 देशों के भाड़े के आतंकवादी लड़ रहे हैं। उन्हें कथित जिहाद के नाम पर यहां लाया गया है, उन्हें भारी-भरकम वेतन, सुविधाएं और पुरस्कार राशि पाकिस्तान देता है।
जम्मू कश्मीर में 1990 के प्रारंभ से आतंकवादी गतिविधियां तेज होना शुरू हुई थीं। तब से सुरक्षाबल अब तक कुल 12 हजार विदेशी आतंकी ढेर कर चुका है। इनमें अफगानिस्तान, सूडान, सउदी अरब, तुर्की, ईरान, यमन, चेचेन्या, कजाकिस्तान, बहरीन, इराक, अल्बानिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि के आतंकवादी शामिल हैं।
1990 के प्रारंभ में सुरक्षा को बहुत थोड़े से आतंकवादी मार गिराने में सफलता मिल पाई थी, तब इनका ऐसा जोर भी नहीं था। विदेशी भी कम थे, पर धीरे-धीरे देशी-विदेशी आतंकवादियों की संख्या बढ़ती गई।
सेना अधिकारियों के बकौल, पाकिस्तान विदेशी भाड़े के आतंकवादी को 25 से 50 हजार रुपए माहवार तक वेतन देता है। ऊपर से कई सुविधाएं भी, इतना ही नहीं सुरक्षाबलों पर हमले में शहीद भारतीय जवानों और अफसरों की संख्या एवं स्तर के हिसाब से इन आतंकवादियों को ज्यादा पैसा भी देता है।
भारतीय जवान से लेकर मेजर तक के मारे जाने पर 50 हजार रुपए, लेफ्टिनेंट से लेकर कर्नल तक के मारे जाने पर एक लाख रुपए और उससे ऊपर की रैंक के अफसर ब्रिगेडियर व अन्य के मारे जाने पर दो-दो लाख रुपए दिए जाते हैं।
कश्मीर में तो गुट सक्रिय हैं उनमें मुत्ताहिदा जेहाद काउंसिल, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और दुख्तारने मिल्लत जैसे अलगाववादी संगठन भी शामिल हैं।
आतंकवादी मामलों की जांच के लिए विशेष रूप से गठित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर ए तैयबा, जैश ए मुहम्मद, हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल अंसार, हरकत उल जेहाद ए इस्लामी, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध लगाया है।
प्रतिबंधित संगठनों की सूची में दीनदार अंजुमन, अल बदर, जमात उल मुजाहिदीन, अल कायदा, दुख्तराने मिल्लत और इंडियन मुजाहिदीन के नाम भी शामिल हैं।