दिल्ली में कांग्रेस में नए अध्यक्ष के नाम को लेकर रायशुमारी शुरू हो गई है। राहुल के बाद पार्टी के लिए नया कौन होगा इसके लिए नेताओं 5 अलग समूह बनाए गए, जो देश के अलग-अलग राज्यों के नेताओं से बात कर अध्यक्ष पद पर अपने-अपने नामों की सिफारिश करेंगे। एक चौंकाने वाले फैसले में पार्टी में नए अध्यक्ष की चुनाव प्रकिया से सोनिया गांधी और राहुल ने अपने को अलग कर लिया है। ऐसे में जब कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ही समझा जाता है तब पार्टी में किसी नए सदस्य के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का ताज कांटों भरा होगा और उसको एक नहीं कई मोर्चों पर लड़ना होगा।
पार्टी के इन दोनों बड़े नेताओं ने अध्यक्ष पद के चुनाव से अलग होकर एक संदेश देने की कोशिश की है। संभावना जताई जा रही है कि पार्टी आज अपने लिए नए अंतरिम अध्यक्ष का चुनाव कर लेगी। पार्टी के निवर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी का जो भी नया अध्यक्ष बने उसके नाम पर पार्टी पूरी तरह एकजुट है। 134 साल पुरानी कांग्रेस में ऐसे मौके बहुत ही कम आए हैं, जब अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का हुआ है। लगभग 2 दशक के बार फिर वह मौका आने जा रहा है जब पार्टी का कप्तान गांधी परिवार के बाहर का हो सकता है। ऐसे में जब कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ही समझा जाता है तब पार्टी में किसी नए सदस्य के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का ताज कांटों भरा होगा और उसको एक नहीं कई मोर्चों पर लड़ना होगा।
1. कांग्रेस का पुनर्गठन करना : कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी और पहली चुनौती पार्टी का पुनर्गठन करना है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले राहुल गांधी ने पार्टी को नए सिरे से फिर से खड़ा करने की जो बात कही थी वह आज सबसे ज्यादा जरूरी है। जो भी नया अध्यक्ष चुना जाएगा वह एक ऐसे समय पार्टी की कमान संभालेगा जब पार्टी गहरे संकट से गुजर रही है। ऐसे समय में कांग्रेस को संगठन के साथ-साथ विचाराधारा पर भी नए सिर से खड़ा करने की जरूरत है जो किसी चुनौती से कम नहीं है।
2. पार्टी में बिखराव को रोकना : कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी में होने वाले बिखराव को रोकना होगा। 2 दशक से अधिक लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस में गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष बनने के बाद अब उसके सामने पार्टी को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है। पार्टी में इस वक्त नए और पुराने नेताओं के बीच जो कोल्ड वॉर छिड़ी है उस पर काबू करना और दोनों के बीच सामंजस्य बनाए रखना नए अध्यक्ष के लिए इतना आसान काम नहीं होगा। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच इस समय खेमेबाजी साफ दिखाई दे रही है। इस खेमेबाजी को खत्म कर फिर से सभी को पार्टी के झंडे के नीचे लाना नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौती होगी।
3. पार्टी के कैडर को मजबूत करना : नए अध्यक्ष के सामने पार्टी के कैडर को फिर से खड़ा करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। चुनाव दर चुनाव हार से पार्टी के कार्यकर्ता मायूस होकर पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं या छोड़ चुके हैं। ऐसे में नए अध्यक्ष के सामने चुनौती पूरे देश में पार्टी के कैडर को फिर से खड़ा करना है जिससे कि वह भाजपा का सामना कर सके।
4. पार्टी के अंदर लोकतंत्र को बहाल करना : पार्टी के अंदर लोकतंत्र को बहाल करना नए अध्यक्ष के लिए एक और प्रमुख चुनौती है। एक लंबे समय से पार्टी के अंदर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव होने की मांग उठती आई है। पार्टी में बड़े पदों पर मनोनयन की प्रक्रिया खत्म कर चुनाव के जरिए पदों पर नियुक्ति की मांग निचले स्तर के कार्यकर्ता लंबे समय से करते आए हैं। ऐसे में अगर पार्टी के कार्यकर्ताओं को फिर से एकजुट करना है तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराना सबसे प्रमुख चुनौती होगी।
5. गांधी परिवार के साए से बाहर निकलना : नए अध्यक्ष के सामने चुनौती गांधी परिवार के साए से बाहर निकलना भी है। कांग्रेस और गांधी परिवार एक-दूसरे के पर्याय माने जाते हैं। जब-जब कांगेस में गांधी परिवार के बाहर कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है उसको एक तरह से रबर स्टैंप माना गया है। ऐसे में नए अध्यक्ष को अपनी अलग स्वतंत्र छवि बनाए रखने के लिए गांधी परिवार के साए से बाहर निकलना होगा जिसके कि वह खुद पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बना सके। नए अध्यक्ष की चयन प्रकिया से सोनिया और राहुल ने बाहर होकर एक संदेश भी देने की कोशिश की है कि नया अध्यक्ष पूरी तरह स्वतंत्र होकर अपना काम करेगा।