महंगाई, बेरोजगारी, कर्ज, कोरोना वायरस, बाढ़ और सरकारों की अस्थिरता। यह पाकिस्तान की कुल जमा कहानी है। फिलहाल पाकिस्तान की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है। उसकी ज्यादातर निर्भरता दूसरे देशों पर ही टिकी हुई है। ऐसे में वहां फिर से सियासी स्थिरता पाकिस्तान का गर्त में ही धकेल देगी। हाल ही में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पूरी दुनिया ने देखी है। महंगाई, कर्ज और सियासी अस्थिरता की वजह से ही उसकी ये हालत हुई, ऐसे में पाकिस्तान कहीं श्रीलंका न हो जाए।
बता दें कि शुक्रवार को पूर्व पीएम इमरान खान ने शाहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कहा जा रहा है कि इससे पाकिस्तान में अराजकता बढ़ जाएगी और महंगाई को काबू करना पाक सरकार के लिए मुश्किल काम होगा। इमरान सरकार का हाल ही में तख्ता पलट हुआ है। सरकार से बाहर होते ही उन्होंने वर्तमान शाहबाज सरकार पर हमला बोल दिया है। ऐसे में समझते हैं कि आखिर पाकिस्तान किन किन और कैसी चुनौतियों से जूझ रहा है।
'हकीकी आजादी मार्च' का आगाज
शुक्रवार को पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का 'हकीकी आजादी मार्च' लाहौर से शुरू हो गया है। यह इस्लामाबाद तक जाएगा। इमरान खान का इस साल यह दूसरा मार्च होगा, इसके पहले उन्होंने मई में ऐसा मार्च निकाला था। वे पाकिस्तान का जनसमर्थन दिखाकर आम चुनाव के लिए प्रशासन पर दबाव बनाना चाहते हैं। इसे भारत में राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा से जोडकर भी देखा जा रहा है। जिस तरह से राहुल भारत में अपने लिए जनसर्थन सहेजना चाहते हैं, कुछ ऐसा ही इमरान कर रहे हैं।
पिछले दिनों हुए पाकिस्तानी के सियासी घटनाक्रमों में आर्थिक हालात तेजी से खराब हुए हैं। ईंधन का आयात प्रभावित हुआ है। इसका असर बाजार में महंगाई पर भी देखने लगा है। बाढ़ ने रही सही कसर पूरी कर दी। जिसकी वजह से महंगाई भी तेजी से बढ़ी। बीती 28 जुलाई को पाकिस्तानी रुपया 239.94 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था।
पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में महंगाई दर 27.3 प्रतिशत पर है। ये स्तर इससे पहले 1975 में देखा गया था। आशंका है कि स्थिति और बुरी हो सकती है, क्योंकि पाकिस्तान में आई बाढ़ का महंगाई पर असर नजर आना अभी बाकी है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में महंगाई इससे भी ऊंचे स्तर पर पहुंच सकती है। आईएमएफ ने देश की अर्थव्यवस्था क समीक्षा में कहा है कि खाद्य कीमतों और ईंधन कीमतों में उछाल से समाज में विरोध और अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
श्रीलंका की राह पर पाक
दरअसल राहत कदमों के लिए आईएमएफ पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा कर रहा है। इस समीक्षा में ही ये सच सामने आया है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर की मदद दी थी, इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कुछ मदद मिली है, लेकिन अब पाकिस्तान का सरकार पर दबाव बढ़ेगा। क्योंकि आईएमएफ के दिशानिर्देशों पर सरकार को खर्च में कटौती करनी होगी। सब्सिडी घटने से भी लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान को बहुत सा कर्ज भी चुकाना है। गौरतलब है कि कर्ज के बोझ के चलते ही श्रीलंका की हालत हाल ही में खराब हुई थी।
क्या हो सकता है आगे?
अभी पाकिस्तान में जो हालत नजर आ रही है, उसके मुताबिक अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान का भविष्य भी बहुत ऊंच नीच वाला रहेगा। भविष्य में पाकिस्तान में सरकार और विपक्ष के बीच संघर्ष तेज होगा। एक तरफ जहां सरकार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने को अपनी उपलब्धि के तौर पर दिखाएगी, तो दूसरी तरफ इमरान अपने इस आरोप को और पुख्ता करने में लगेंगे कि शहबाज शरीफ अमेरिका की कृपा से प्रधानमंत्री बने हैं। इमरान को अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखना है तो दूसरी तरफ शहबाज शरीफ का सरकार में बने रहना चुनौती से भरा होगा। यानी पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता तो बनी ही रहेगी। Written & Edited: By NavinRangiyal