Indus Water Treaty: विदेश मंत्रालय ने संसद की एक समिति से कहा है कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भारत का फैसला पाकिस्तान द्वारा समझौते को दिशा देने वाले दोस्ती और सद्भावना जैसे सिद्धांतों के उल्लंघन का स्वाभाविक नतीजा है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने समिति से कहा है कि इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियर के पिघलने सहित जमीनी हालात में आए बदलावों के कारण संधि की शर्तों पर फिर से बातचीत करना जरूरी हो गया है।
21वीं सदी के अनुरूप हो संधि : सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने समिति से कहा कि पाकिस्तान संधि पर हस्ताक्षर के बाद जमीनी हालात में आए बदलावों के मद्देनजर दोनों देशों की सरकारों के बीच बातचीत के भारत के अनुरोध में लगातार अड़चन डाल रहा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि सिंधु जल संधि पर फिर से बातचीत किए जाने की जरूरत है, ताकि इसे 21वीं सदी के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, क्योंकि यह 1950 और 1960 के दशक की इंजीनियरिंग तकनीकों पर आधारित है।
मंत्रालय ने कहा कि अन्य प्रमुख बदलावों में जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर का पिघलना, नदियों के पानी की मात्रा में आया बदलाव और जनसांख्यिकी शामिल हैं। उसने कहा कि इन कारकों के अलावा स्वच्छ ऊर्जा की चाह संधि के तहत अधिकारों और दायित्वों के निर्धारण पर नये सिरे से बातचीत को अनिवार्य बनाते हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जब जमीनी हालात पूरी तरह से बदल गए हों, तो संधि को स्थगित रखने का फैसला स्वाभाविक और भारत के अधिकार क्षेत्र में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले का समर्थन करते हुए हाल ही में कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। (एजेंसी/वेबदुनिया)