नई दिल्ली। केंद्र ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है, जो उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले का परीक्षण करेगा जिनका 'ऐतिहासिक रूप से' अनुसूचित जाति से संबंध है लेकिन जिन्होंने राष्ट्रपति के आदेशों में उल्लिखित धर्मों के अलावा किसी अन्य धर्म को अपना लिया है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार 3 सदस्यीय आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. रविंदर कुमार जैन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव भी शामिल हैं। आयोग संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत समय-समय पर जारी राष्ट्रपति के आदेशों के अनुरूप मामले की जांच करेगा।
मौजूदा अनुसूचित जातियों पर निर्णय (अगर अमल में आता है तो) के निहितार्थों की भी आयोग जांच करेगा। इसके अलावा इन लोगों के अन्य धर्मों में परिवर्तित होने के बाद रीति-रिवाजों, परंपराओं और सामाजिक भेदभाव और अभाव की स्थिति में बदलाव पर भी ध्यान दिया जाएगा।