आईयूएमएल के लोकसभा सांसद पीके कुनहालीकुट्टी और ईटी मोहम्मद बशीर ने यहां कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ विचार-विमर्श करके विधेयक का विरोध करेगी। कुनहालीकुट्टी ने दावा किया कि विधेयक में 'तीन तलाक' नहीं बल्कि सिर्फ 'तलाक' शब्द है और सरकार इसे संज्ञेय अपराध बनाकर तलाक लेने का मुस्लिम पुरुषों का अधिकार छीनना चाहती है। इसमें पति को तीन वर्ष की कैद की सजा का भी प्रावधान है।
इसका मतलब यह है कि यदि मुस्लिम पुरुष तलाक देना चाहेंगे तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और प्रताड़ित किया जाएगा। बशीर ने कहा कि इस विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो परस्पर विरोधाभासी हैं। एक ओर तो इसमें पति को कैद की सजा की बात की गई है दूसरी ओर उसे पूर्व पत्नी और बच्चों को मोटा गुजारा भत्ता भी देना होगा।
उन्होंने सवाल किया कि जो व्यक्ति जेल में होगा वह गुजारा भत्ता कैसे देगा। दोनों नेताओं ने कहा कि यह विधेयक धर्म के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है और शादी, तलाक तथा उत्तराधिकार जैसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत आने वाले मामलों को खारिज करता है।