मदनी ने शनिवार को यहां कहा कि तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल दे रही है। उन्होंने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में संसद या सरकार दखल देने का अधिकार नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि एक साथ तीन तलाक की परंपरा बिलकुल भी ठीक नहीं है और मुसलमानों को इसका इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में तलाक देने वाले पुरुष को जेल की सजा की व्यवस्था की गई है। जेल जाने की सूरत में महिला और बच्चों की देखभाल कौन करेगा। उन्होंने इस बात पर भी कड़ा ऐतराज जताया कि केंद्र कोकानून बनाने से पहले शरीयत के जानकारों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से अवश्य विचार-विमर्श करना चाहिए था।