उन्होंने कहा कि यदि भाजपा की नीयत इस विधेयक को लेकर अच्छी होती और राज्यसभा में इसे पारित कराने का उसका इरादा होता तो पहले दिन के अधूरे कार्य को दूसरे दिन आगे बढ़ाती। विधेयक पर विपक्ष की मांग के अनुसार जरूरी कदम उठाती लेकिन तीन तलाक विधेयक को लेकर उसकी नीति ठीक नहीं है इसलिए पहले दिन की अधूरी कार्यवाही को आगे बढ़ाने की बजाय दूसरे काम निपटाए गए।